सचेतन 3.24 : नाद योग: वैष्णवी मुद्रा

SACHETAN  > Naad-yog >  सचेतन 3.24 : नाद योग: वैष्णवी मुद्रा

सचेतन 3.24 : नाद योग: वैष्णवी मुद्रा

| | 0 Comments

गुप्त रहस्य का अद्भुत ज्ञान

नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र  में। आज हम बात करेंगे वैष्णवी मुद्रा के बारे में, जिसे समस्त तन्त्र-शास्त्रों में गुप्त रहस्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह मुद्रा न केवल ध्यान और साधना का महत्वपूर्ण अंग है, बल्कि हमारे आध्यात्मिक विकास में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आइए, इस विषय पर गहराई से चर्चा करें।

वैष्णवी मुद्रा का परिचय:

वैष्णवी मुद्रा का अर्थ है वह मुद्रा जिसमें अन्तःकरण में लक्ष्य निहित हो और बाह्य दृष्टि निमेष-उन्मेष अर्थात् पलक झपकने से विहीन हो। इस मुद्रा को साधना में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है और इसे तन्त्र-शास्त्रों में गुप्त रहस्य के रूप में वर्णित किया गया है।

वैष्णवी मुद्रा की विशेषताएँ:

  1. अन्तःकरण में लक्ष्य निहित:
    • वैष्णवी मुद्रा में साधक का सम्पूर्ण ध्यान अन्तःकरण में निहित लक्ष्य पर केंद्रित होता है।
    • यह ध्यान साधक को आत्म-साक्षात्कार और आत्मा की गहराईयों में प्रवेश करने में सहायक होता है।
  2. बाह्य दृष्टि निमेष-उन्मेष से विहीन:
    • इस मुद्रा में साधक की बाहरी दृष्टि पलक झपकने से मुक्त हो जाती है।
    • यह स्थिति ध्यान की गहनता और एकाग्रता को बढ़ाती है, जिससे साधक अपनी साधना में गहराई तक जा सकता है।

वैष्णवी मुद्रा का अभ्यास:

वैष्णवी मुद्रा का अभ्यास करने के लिए निम्नलिखित विधियों का पालन किया जा सकता है:

  1. शांत स्थान का चयन:
    • सबसे पहले एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें, जहाँ आपको कोई बाधा न हो।
    • यह स्थान आपको ध्यान और साधना में सहायक होगा।
  2. सिद्धासन या सुखासन में बैठें:
    • ध्यान और साधना के लिए सिद्धासन या सुखासन में बैठें।
    • रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और आँखें बंद करें।
  3. ध्यान केंद्रित करें:
    • अपने मन को शांत करें और ध्यान को अपने अन्तःकरण में निहित लक्ष्य पर केंद्रित करें।
    • बाहरी दृष्टि को निमेष-उन्मेष से मुक्त रखें और सम्पूर्ण ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करें।
  4. श्वास पर ध्यान दें:
    • श्वास को धीरे-धीरे लें और छोड़ें।
    • श्वास की गति को नियंत्रित करते हुए ध्यान को गहराई में प्रवेश करने दें।

वैष्णवी मुद्रा के लाभ:

  1. आध्यात्मिक विकास:
    • वैष्णवी मुद्रा का अभ्यास साधक के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
    • यह मुद्रा आत्म-साक्षात्कार की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  2. मानसिक शांति:
    • इस मुद्रा का अभ्यास मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
    • यह मन को तनावमुक्त और शांत रखती है।
  3. एकाग्रता में वृद्धि:
    • वैष्णवी मुद्रा एकाग्रता और ध्यान की गहनता को बढ़ाती है।
    • इससे साधक अपनी साधना में अधिक गहराई तक जा सकता है।

निष्कर्ष:

वैष्णवी मुद्रा तन्त्र-शास्त्रों में गुप्त रहस्य के रूप में मानी जाती है और इसका अभ्यास साधक के आध्यात्मिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मुद्रा हमें मानसिक शांति, एकाग्रता और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में अग्रसर करती है।

आज के एपिसोड में इतना ही। हमें आशा है कि आपको वैष्णवी मुद्रा के इस गहन विषय के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। हम फिर मिलेंगे एक नए विषय के साथ। तब तक के लिए, ध्यान में रहें, खुश रहें और अपनी साधना को गहराई तक ले जाएँ।

नमस्कार!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *