सचेतन, पंचतंत्र की कथा-26 :सियार की चाल

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सियार चंडरव की कथा

नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका “सचेतन” के इस नए सत्र में, जहाँ हम पंचतंत्र की अद्भुत कहानियों से जीवन की महत्वपूर्ण सीख लेते हैं। आज की कहानी एक सियार ‘चंडरव’ की है, जो अपनी चतुराई और किस्मत के कारण जंगल का राजा बन जाता है, लेकिन अंत में उसकी असलियत सभी के सामने आ जाती है। आइए जानते हैं इस रोचक कहानी के बारे में। यह पंचतंत्र की कथा पिंगलक और दमनक की कहानी का ही भाग है, जो नीति, चालाकी और सत्ता की जटिलताओं को समझाती है। इस कथा में पिंगलक एक शक्तिशाली सिंह है, जो जंगल का राजा है, जबकि दमनक एक चालाक सियार है, जो राजा के पास मंत्री बनने की इच्छा रखता है। यह कहानी दर्शाती है कि किस तरह चालाकी और चतुराई से सत्ता और शक्ति हासिल की जा सकती है, भले ही इसके लिए नैतिकता का त्याग क्यों न करना पड़े।

पिंगलक, जो जंगल का राजा है, अपने बल के कारण सभी जानवरों को अपने अधीन रखता है। एक दिन पिंगलक अपने एक नए मित्र संजीवक (जो एक बैल है) के साथ मित्रता कर लेता है। संजीवक के साथ पिंगलक का अधिक समय बिताने और उसे अधिक महत्व देने से दमनक, जो एक सियार है, ईर्ष्या करने लगता है। दमनक सोचता है कि संजीवक पिंगलक के पास रहकर उसकी शक्ति और प्रतिष्ठा को छीन सकता है।

दमनक अपनी चतुराई और कुटिलता का उपयोग करके पिंगलक के मन में संजीवक के प्रति शक उत्पन्न करता है। वह पिंगलक से कहता है कि संजीवक उसके खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है और उसे मारना चाहता है। पिंगलक, दमनक की बातों में आकर संजीवक पर शक करने लगता है। दमनक पिंगलक को यह भी बताता है कि संजीवक सभा में लाल आंखों और फड़कते होंठों से उसे घूरकर देखेगा, और यही उसकी बुरी नीयत का प्रमाण होगा।

दमनक अब पिंगलक को यह सियार चंडरव की कथा सुनेते हैं-  तो चलिए, शुरू करते हैं आज की कहानी —

किसी जंगली प्रदेश में चंडरव नाम का एक सियार रहता था। एक दिन भूख से परेशान होकर वह खाने की तलाश में नगर की ओर निकल गया। नगर में घुसते ही उसे चारों तरफ से कुत्तों ने घेर लिया। वे सभी उस पर भौंकने लगे और उसे काटने की कोशिश करने लगे। अपनी जान बचाने के लिए चंडरव दौड़ता हुआ पास के एक रंगरेज के घर में घुस गया। वहां नील के रंग से भरा एक बड़ा बरतन था, और वह डर के मारे उसमें कूद गया। जब वह बाहर निकला तो उसका पूरा शरीर नीले रंग का हो चुका था। नीले रंग में रंगे हुए सियार को देखकर कुत्तों ने उसे पहचान नहीं पाया और वहां से भाग गए।

चंडरव ने सोचा कि अब वह अपने नए रूप का उपयोग करके कुछ बड़ा कर सकता है। वह जंगल में वापस गया। उसका नीला रंग देखकर जंगल के सभी जानवर जैसे सिंह, बाघ, भेड़िये आदि डर गए। उन्हें समझ में नहीं आया कि यह कौन सा अजीब प्राणी है और वे उससे दूर भागने लगे। 

“पशुओं की पशुओं के साथ, बैलों की बैलों के साथ, घोड़ों की घोड़ों के साथ, मूर्खों की मूर्खों के साथ और बुद्धिमानों की बुद्धिमानों के साथ मित्रता होती है। समान शील और रुचि वाले मनुष्यों के बीच ही मित्रता संभव है।

महादेव के कंठ में विष जैसे रंग वाले तथा तमाल वृक्ष जैसी कांति वाले उस जीव को देखकर सिंह, बाघ तथा भेड़िये आदि वन के जानवर डरकर तुरंत इधर-उधर भागने लगे और कहने लगे, “इसका स्वभाव और बल क्या है, इसका हमें कोई पता नहीं है। इसलिए हमें इससे दूर ही रहना चाहिए।” कहा भी गया है – “जिसकी चेष्टा, कुल और बल का ज्ञान न हो, ऐसे व्यक्ति पर कल्याण चाहने वाले बुद्धिमान व्यक्ति को कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए।”

चंडरव ने भी इन जानवरों को घबराया देख कहा, “अरे जानवरो, तुम सब मुझे देखते ही क्यों डरकर भाग रहे हो? डरो मत। ब्रह्मा ने स्वयं मुझे बनाकर कहा है, ‘जानवरों के बीच कोई राजा नहीं है, इसलिए मैंने तुझे आज से सब वन्य प्राणियों का राजा घोषित किया है। तू अब जाकर सबका पालन-पोषण कर।’ इसी कारण मैं यहाँ आया हूँ। सब जानवरों को मेरी छत्रछाया में रहना चाहिए। तीनों लोकों के जानवरों का मैं ‘ककुद्रुम’ नाम का राजा हूँ।”

यह सुनकर सिंह, बाघ आदि वन-पशु “स्वामी”, “प्रभो”, “आज्ञा दीजिए”, कहकर उसे चारों ओर से घेरकर बैठ गए। चंडरव ने सिंह को अपना मंत्री बनाया, बाघ को सेजपाल, चीते को पान-सुपारी का अधिकारी, और भेड़िये को दरबान बना दिया। अपने जितने सगे सियार थे, उनके साथ उसने बातचीत करना भी बंद कर दिया। उन्हें गर्दनिया देकर सब बाहर निकाल दिया। इस प्रकार वह जंगल का राज-काज चलाने लगा। उसके सामने सिंह और अन्य हिंस्रक जानवर दूसरे छोटे जानवरों को लाते थे और वह राज-धर्म के अनुसार उन्हें सभी में बांट देता था। इस प्रकार कुछ समय बीतने पर, ककुद्रुम यानी  सियार चंडरव  के साथ क्या होता है वह सुनेगें अगले एपिसोड में- आशा है आपको आज की यह कहानी सियार की चाल का पहला भाग पसंद आया  होगी। फिर मिलेंगे “सचेतन” के अगले सत्र में, जहाँ हम पंचतंत्र की एक और प्रेरणादायक कहानी लेकर आएंगे। तब तक के लिए धन्यवाद और खुश रहिए।

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