सचेतन- 01: “परीक्षा: डर नहीं, अवसर है विकास का!”

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सचेतन- 01: “परीक्षा: डर नहीं, अवसर है विकास का!”

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सचेतन- 01: “परीक्षा: डर नहीं, अवसर है विकास का!”

नमस्कार!

आप सुन रहे हैं “सचेतन”, एक विचार जहाँ हम बात करते हैं आपके मन, आत्मविश्वास और जीवन के छोटे-छोटे लेकिन ज़रूरी पहलुओं की।

आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे विषय की जो हम सबके जीवन में कभी ना कभी आता है — परीक्षा।

परीक्षा का मतलब क्या है? 

हम अक्सर सोचते हैं कि परीक्षा का मतलब है नंबर लाना… रैंक लाना… दूसरों से आगे निकलना।

लेकिन असली बात ये है दोस्तो —

परीक्षा का मतलब है सीखना, समझना, और खुद को जानना।

परीक्षा हमें ये दिखाती है कि हमने कितना सीखा, और हमें कहाँ पर और मेहनत करने की ज़रूरत है।

“परीक्षा वो आईना है, जिसमें हम अपना शैक्षणिक प्रतिबिंब देखते हैं।”

परीक्षा का मतलब केवल सवालों के जवाब देना नहीं होता।
यह एक ऐसा दर्पण है, जिसमें हम अपने ज्ञान, साहस और संकल्प को देखते हैं।
यह हमें बताती है कि हम कहाँ खड़े हैं, और कहाँ तक जा सकते हैं।
जब हम मेहनत करते हैं, तो हर कठिन सवाल हमें और मजबूत बनाता है।
परीक्षा हमें डराती नहीं — वह हमें तराशती है, निखारती है और हमारे आत्मविश्वास को नयी उड़ान देती है।

इसलिए परीक्षा को बोझ नहीं, एक अवसर मानो — खुद को साबित करने का, खुद को समझने का।

परीक्षा है एक रास्ता, मंज़िल की पहचान है,  

डर को पीछे छोड़ दो, हिम्मत ही तो जान है।

अब सवाल आता है — परीक्षा से डर क्यों लगता है?

क्योंकि हमें लगता है कि हम फेल हो जाएंगे।

क्योंकि हमें लगता है कि लोग क्या कहेंगे।

और सबसे बड़ी बात — हम खुद से ही डरने लगते हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है —

डरने से ज़्यादा जरूरी है, सामना करना।

डर से भागो मत, उसे समझो।

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