सचेतन- 05: पंचभूत क्रिया: प्रकृति से आत्मा तक की यात्रा

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सचेतन- 05: पंचभूत क्रिया: प्रकृति से आत्मा तक की यात्रा

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नमस्कार
आप सुन रहे हैं सचेतन जहाँ हम “आत्मा की आवाज़” — पर विचार रखते हैं जो आपको प्रकृति, योग और आत्म-ज्ञान से जोड़ता है।
पंचभूत क्रिया — अर्थात् पाँच तत्वों की साधना।

पंचभूत क्या हैं? 

हमारा शरीर, हमारा मन, और पूरी यह सृष्टि — पाँच तत्वों से बनी है:
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।
इन्हें ही कहते हैं — पंचमहाभूत।

जब इन तत्वों में संतुलन होता है, तो जीवन शांत, स्वस्थ और स्थिर होता है।
लेकिन जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो शरीर में रोग, मन में अशांति और आत्मा में दूरी आ जाती है।

पंचभूत क्रिया वह योगिक प्रक्रिया है जिससे हम इन पाँच तत्वों को शुद्ध और संतुलित करते हैं।

पाँच तत्वों का अभ्यास 

🔸 1. पृथ्वी (भूमि तत्व):
पृथ्वी हमें स्थिरता देती है।
अभ्यास: ज़मीन पर मौन बैठिए, ध्यान दीजिए अपने शरीर की स्थिरता पर।
मंत्र: “पृथ्वी त्वं धरा देवी, नमस्तुभ्यं नमो नमः।”

🔹 2. जल (अप तत्व):
जल हमें भावनात्मक प्रवाह और शीतलता देता है।
अभ्यास: शांत जल को देखें, स्नान करते समय कृतज्ञता अनुभव करें।
मंत्र: “आपो हिष्ठा मयोभुवः।”

🔸 3. अग्नि (तेज तत्व):
अग्नि हमें ऊर्जा, पवित्रता और रूपांतरण देती है।
अभ्यास: दीपक जलाइए, अग्नि की लौ में ध्यान कीजिए।
मंत्र: “ॐ अग्नये नमः।”

🔹 4. वायु (वाय तत्व):
वायु हमें जीवनशक्ति (प्राण) देती है।
अभ्यास: प्राणायाम करें, हर श्वास को प्रेम और आभार से भरें।
मंत्र: “ॐ वायवे नमः।”

🔸 5. आकाश (आकाश तत्व):
यह सबसे सूक्ष्म तत्व है — जो सबमें है, जो शून्य है।
अभ्यास: खुले आकाश की ओर देखें, मौन में डूब जाएं।
मंत्र: “ॐ आकाशाय नमः।”

पंचभूत क्रिया का प्रभाव

जब आप रोज़ इन पाँच तत्वों के साथ जुड़ते हैं —
आपका मन शांत होता है, शरीर संतुलित रहता है, और आत्मा जागती है।

यह क्रिया केवल शरीर की नहीं, चेतना की शुद्धि है।

“जिसने पंचभूतों को साध लिया, उसने प्रकृति को समझा।
और जिसने प्रकृति को समझा, उसने स्वयं को जान लिया।”

 आज ही पंचभूतों के साथ जुड़ने का अभ्यास शुरू करें।
आप पाएंगे कि आपके भीतर एक नया प्रकाश, एक नई स्थिरता, और एक नई ऊर्जा जन्म ले रही है।

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