सचेतन 3.36 : नाद योग: हृदयकमल और ॐकार का ध्यान

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आत्म-साक्षात्कार की ओर

नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपके पसंदीदा पॉडकास्ट “सचेतन” कार्यक्रम में। आज हम चर्चा करेंगे ध्यान की एक अद्वितीय विधि के बारे में—हृदयकमल और ॐकार का ध्यान। यह ध्यान न केवल हमारे मन को शांत करता है, बल्कि हमें आत्म-साक्षात्कार की ओर भी ले जाता है। आइए, जानते हैं इसकी गहराई और महत्व को।

हृदयकमल और ॐकार का ध्यान

योग और ध्यान की प्राचीन परंपरा में, हृदयकमल को आत्मा का निवास स्थान माना गया है। यह वह स्थान है, जहाँ शुद्ध चेतना का अनुभव होता है। हृदयकमल के मध्य में स्थित वह ज्योतिशिखा, जो अंगुष्ठमात्र के आकार में है, ॐकार रूपी परमात्मा का प्रतीक है। इस ध्यान विधि में, साधक हृदयकमल के भीतर ॐकार का ध्यान करता है, जो मन और आत्मा को शुद्ध कर आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है।

ध्यान की विधि

1. शांत स्थान का चयन:

  • सबसे पहले, एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहाँ आप बिना किसी बाधा के ध्यान कर सकें। यह स्थान आपके मन और शरीर को शांति और स्थिरता प्रदान करेगा।

2. आरामदायक मुद्रा में बैठें:

  • किसी भी आरामदायक ध्यान मुद्रा (जैसे पद्मासन या सिद्धासन) में बैठें। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और आँखें धीरे-धीरे बंद कर लें।

3. गहरी श्वास लें:

  • ध्यान से पहले कुछ गहरी श्वास लें और छोड़ें। इससे आपका मन शांत हो जाएगा और आप ध्यान के लिए तैयार हो जाएंगे।

4. हृदयकमल का ध्यान करें:

  • अब अपने ध्यान को अपने हृदयकमल पर केंद्रित करें। कल्पना करें कि आपके हृदय के बीच में एक कमल खिला हुआ है, जिसकी कर्णिका के मध्य एक स्थिर ज्योतिशिखा (अंगुष्ठमात्र आकार की) जल रही है। यह ज्योतिशिखा ॐकार रूप परमात्मा का प्रतीक है।

5. ॐकार का ध्यान करें:

  • इस ज्योतिशिखा के साथ ॐकार का ध्यान करें। ॐ की ध्वनि को अपने मन में गूंजने दें। इसे महसूस करें, इसे अपने हृदय के भीतर गहरे से अनुभव करें। यह ध्वनि आपके मन और आत्मा को शुद्ध करेगी और आपको ब्रह्मांडीय चेतना से जोड़ देगी।

6. ध्यान की गहराई में उतरें:

  • धीरे-धीरे अपने विचारों को शांत करें और केवल हृदयकमल और ॐकार पर ध्यान केंद्रित रखें। इस स्थिति में कुछ देर तक रहें, और अपने भीतर की शांति और दिव्यता का अनुभव करें।

हृदयकमल और ॐकार ध्यान का महत्व

1. मन और आत्मा की शुद्धि:

  • इस ध्यान विधि के माध्यम से मन और आत्मा शुद्ध होते हैं। ॐकार की ध्वनि और हृदयकमल का ध्यान हमें सभी नकारात्मक विचारों और भावनाओं से मुक्त करता है, जिससे हमारा मन शांत और स्थिर होता है।

2. आत्मिक शक्ति का जागरण:

  • हृदयकमल में स्थित ॐकार रूपी ज्योतिशिखा हमारी आंतरिक शक्ति और चेतना का प्रतीक है। इस ध्यान के माध्यम से हम अपनी आत्मा की शक्ति को जागृत कर सकते हैं और जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं।

3. आत्म-साक्षात्कार की दिशा:

  • हृदयकमल और ॐकार का ध्यान हमें आत्म-साक्षात्कार की दिशा में अग्रसर करता है। यह ध्यान हमें यह बोध कराता है कि हम केवल यह शरीर और मन नहीं हैं, बल्कि शुद्ध आत्मा हैं, जो परमात्मा का अंश है।

4. आध्यात्मिक जागरूकता:

  • यह ध्यान हमारी आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है और हमें ब्रह्मांड की गहनता से जोड़ता है। इसके माध्यम से हम आत्मा और परमात्मा के एकत्व का अनुभव कर सकते हैं।

निष्कर्ष

हृदयकमल और ॐकार का ध्यान एक गहन और प्रभावशाली ध्यान विधि है, जो हमें आत्म-साक्षात्कार की दिशा में ले जाती है। इस ध्यान के माध्यम से हम अपने भीतर की शांति, दिव्यता, और आत्मिक शक्ति को जागृत कर सकते हैं। नियमित अभ्यास से यह ध्यान हमें ब्रह्मांडीय चेतना से जोड़ता है और हमें सच्चे अर्थों में आत्म-साक्षात्कार का अनुभव कराता है।

आज के इस “सचेतन” कार्यक्रम में इतना ही। हमें उम्मीद है कि हृदयकमल और ॐकार ध्यान के इस विषय ने आपको गहराई से प्रभावित किया होगा। इसे अपने जीवन में अपनाएं और आत्म-साक्षात्कार की यात्रा पर आगे बढ़ें।

नमस्कार!

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