सचेतन- 06: हमारा शरीर, हमारा मन, और पूरी यह सृष्टि का आधार है पंचभूत 🔱
पंचभूत क्रिया एक योगिक प्रक्रिया है जिसमें साधक या योगी इन पाँच तत्वों के साथ अपने भीतर संतुलन स्थापित करता है। यह क्रिया विशेष रूप से तप, साधना, ध्यान और आंतरिक जागरण के लिए की जाती है।
हमारा शरीर, हमारा मन, और पूरी यह सृष्टि — पाँच तत्वों से बनी है:
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।
इन्हें ही कहते हैं — पंचमहाभूत।
पंचमहाभूतों का सारांश
🔢 क्रम | 🌿 तत्व (महाभूत) | 🔷 गुण | 🧍♂️ स्थान (शरीर में) | 🎯 कार्य |
1 | पृथ्वी (Earth) | स्थिरता, कठोरता, घनत्व | हड्डियाँ, मांसपेशियाँ, त्वचा, नाखून व बाल | शरीर को आकार, ठोसपन व स्थिरता देना |
2 | जल (Water) | तरलता, शीतलता, बहाव | रक्त, लसीका, मूत्र, लार, पसीना, आँसू | पोषण, गतिकता, नमी और शीतलता प्रदान करना |
3 | अग्नि (Fire) | गर्मी, रूपांतरण, ऊर्जा | जठराग्नि, आँखें, शरीर का तापमान, बुद्धि व विचार शक्ति | पाचन, रूपांतरण, दृष्टि और मानसिक ऊर्जा देना |
4 | वायु (Air) | गति, हल्कापन, सूखापन | फेफड़े, हृदय गति, नाड़ी तंत्र, श्वास-प्रश्वास | गति, संचार, संचालन व जीवन शक्ति बनाए रखना |
5 | आकाश (Space/ Ether) | शून्यता, विस्तार, ध्वनि माध्यम | शरीर की गुहाएँ (कंठ, नासिका, पेट), कोशिका के बीच का स्थान, मानसिक क्षेत्र | संचार का माध्यम, ध्वनि ग्रहण करना, विस्तार और सूक्ष्मता |
जब इन तत्वों में संतुलन होता है, तो जीवन शांत, स्वस्थ और स्थिर होता है।
लेकिन जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो शरीर में रोग, मन में अशांति और आत्मा में दूरी आ जाती है।