सचेतन 3.08 : नाद योग: ॐ की कलाओं का अभ्यास

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स्वागत है दोस्तों, हमारे इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र  में जिसका शीर्षक है “नाद योग में ॐ की बारह कलाएँ”। आज हम बात करेंगे नाद योग के एक महत्वपूर्ण पहलू ॐ की बारह कलाओं के बारे में। इस यात्रा में हम जानेंगे कि नाद योग क्या है, ॐ का महत्व क्या है, और ॐ की बारह कलाओं का हमारी जीवन में क्या योगदान है।

कलाओं का अर्थ और परिभाषा:

  • कला एक ऐसी रचनात्मक गतिविधि है, जिसमें व्यक्ति अपनी कल्पना, भावना और अनुभवों को विभिन्न माध्यमों के माध्यम से व्यक्त करता है।
  • यह चित्रकला, संगीत, नृत्य, नाटक, मूर्तिकला, साहित्य आदि रूपों में हो सकती है।
  • कला का उद्देश्य सुंदरता का सृजन करना, भावनाओं को व्यक्त करना और समाज को प्रेरित करना होता है।

कलाओं का व्यक्तिगत महत्व:

  • रचनात्मकता और आत्म-अभिव्यक्ति: कला व्यक्ति को अपनी रचनात्मकता और आत्म-अभिव्यक्ति का साधन प्रदान करती है।
  • मानसिक शांति: कला का अभ्यास मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति तनाव और चिंता से मुक्त हो सकता है।
  • स्वयं का विकास: कला के माध्यम से व्यक्ति अपनी क्षमताओं को पहचान सकता है और उनका विकास कर सकता है।

कलाएँ हमारे जीवन के हर पहलू को समृद्ध और प्रेरित करती हैं। वे हमें सुंदरता, रचनात्मकता, और आत्म-अभिव्यक्ति का अनुभव कराती हैं। कलाओं का महत्व केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक स्तर पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

ॐ की बारह कलाएँ

अब हम पहुँचते हैं आज के मुख्य विषय पर, जो है ॐ की बारह कलाएँ। इन कलाओं के माध्यम से हम ॐ की ध्वनि को और भी गहराई से समझ सकते हैं और अपने ध्यान में इनका उपयोग कर सकते हैं।

  1. अणिमा – यह कला हमें सूक्ष्मता का अनुभव कराती है।
  2. लघिमा – यह कला हमें हल्कापन और ऊर्जा का अनुभव कराती है।
  3. गरिमा – यह कला हमें स्थिरता और गंभीरता का अनुभव कराती है।
  4. महिमा – यह कला हमें विस्तार और व्यापकता का अनुभव कराती है।
  5. प्राप्ति – यह कला हमें इच्छाओं की प्राप्ति की शक्ति प्रदान करती है।
  6. प्राकाम्य – यह कला हमें सभी इच्छाओं की पूर्ति की शक्ति प्रदान करती है।
  7. ईशित्व – यह कला हमें सृष्टि पर नियंत्रण की शक्ति प्रदान करती है।
  8. वशित्व – यह कला हमें सभी वस्तुओं और प्राणियों पर वश में करने की शक्ति देती है।
  9. सर्वकामदुगता – यह कला हमें सभी इच्छाओं को पूर्ण करने की शक्ति देती है।
  10. ब्राह्मण – यह कला हमें ब्रह्मांडीय चेतना से जोड़ती है।
  11. अक्षय – यह कला हमें अजर-अमर होने का अनुभव कराती है।
  12. बोधिनी – यह कला हमें ज्ञान और बोध की उच्च अवस्था में पहुँचाती है।

नाद योग में ॐ की कलाओं का अभ्यास

इन कलाओं का अभ्यास नाद योग में कैसे किया जाए, इसके लिए हमें ध्यान और मन की शांति की अवस्था में जाना होगा। ॐ की ध्वनि का उच्चारण धीरे-धीरे करें और उसकी हर कला को महसूस करने की कोशिश करें।

  1. ध्यान की स्थिति – सबसे पहले, एक शांत स्थान पर बैठें और अपनी रीढ़ को सीधा रखें। आँखें बंद करें और कुछ गहरी साँसें लें।
  2. ॐ का उच्चारण – अब ॐ का उच्चारण धीरे-धीरे और गहराई से करें। ध्यान दें कि उच्चारण करते समय आपका मन पूरी तरह से ध्वनि पर केंद्रित हो।
  3. कलाओं का अनुभव – अब ॐ की बारह कलाओं का अनुभव करने की कोशिश करें। एक-एक कर इन कलाओं को महसूस करें और उन्हें अपने भीतर उतारें।

निष्कर्ष

तो दोस्तों, आज हमने जाना नाद योग में ॐ की बारह कलाओं के बारे में। यह कलाएँ हमें शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्तर पर उन्नति की दिशा में ले जाती हैं। अगर आप भी इन कलाओं का अभ्यास नियमित रूप से करेंगे, तो आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस करेंगे।

आपके सवालों और सुझावों का हमेशा स्वागत है। आप हमें manovikas@manovikas.family के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं। अगले सत्र में फिर मिलेंगे एक और रोचक विषय के साथ।

तब तक के लिए, ध्यान और शांति के इस मार्ग पर आगे बढ़ते रहें। नमस्कार!

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