पंचतंत्र की कथा-01 : पंचतंत्र के बारे में कुछ रोचक बातें

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आइए, आज हम पंचतंत्र की महान कहानियों की दुनिया में कदम रखें। यह कहानी संग्रह हमारे भारतीय संस्कृत साहित्य की एक अद्भुत धरोहर है। इस महान रचना के रचयिता पंडित विष्णु शर्मा थे, जिन्होंने लगभग 80 वर्ष की आयु में इस ग्रंथ की रचना की थी। आइए जानते हैं, इस अद्वितीय ग्रंथ के बारे में कुछ रोचक बातें।

नमस्कार श्रोताओं! आप सुन रहे हैं पंचतंत्र की अद्भुत यात्रा। पंचतंत्र, जिसका नाम ही बताता है कि इसमें पाँच भागों में विभाजित कहानियों का संग्रह है। यह नीतिपुस्तक न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। हर कहानी में एक महत्वपूर्ण संदेश छुपा है, जो जीवन में हमें सही दिशा दिखाने का कार्य करती है।

दक्षिण के किसी जनपद में एक नगर था, जिसका नाम था महिलारोप्य। वहाँ के राजा अमरशक्ति बड़े ही पराक्रमी, उदार और कलाओं में निपुण थे। परंतु उनके तीन पुत्र—बहुशक्ति, उग्रशक्ति और अनंतशक्ति—दुर्भाग्यवश अज्ञानी और उद्दंड थे। राजा अमरशक्ति अपने पुत्रों की मूर्खता और अज्ञान से बहुत चिंतित थे। एक दिन उन्होंने अपने मंत्रियों से कहा, “ऐसे मूर्ख और अविवेकी पुत्रों से अच्छा तो निस्संतान रहना होता। पुत्रों के मरण से भी इतनी पीड़ा नहीं होती, जितनी मूर्ख पुत्र से होती है। हमारा राज्य विद्वानों और महापंडितों से भरा है, कोई ऐसा उपाय करो जिससे मेरे पुत्र शिक्षित हो सकें।”

मंत्रियों ने विचार-विमर्श किया और अंत में मंत्री सुमति ने सुझाव दिया, “महाराज, आपके राज्य में विष्णु शर्मा नामक महापंडित रहते हैं, जो सभी शास्त्रों में पारंगत हैं। इनके पास राजपुत्रों को भेजा जाए ताकि वे इनको ज्ञान प्रदान कर सकें।” राजा अमरशक्ति ने यही किया और विनयपूर्वक महापंडित विष्णु शर्मा से अनुरोध किया कि वे उनके पुत्रों को अर्थशास्त्र का ज्ञान प्रदान करें।

विष्णु शर्मा ने उत्तर दिया, “मैं विद्या का विक्रय नहीं करता। लेकिन मैं वचन देता हूँ कि छह महीने में ही आपके पुत्रों को नीतियों में पारंगत कर दूँगा।” महापंडित की यह प्रतिज्ञा सुनकर सभी स्तब्ध रह गए।

विष्णु शर्मा ने राजपुत्रों को अपने आश्रम में ले जाकर उन्हें नीति और ज्ञान सिखाने के लिए पंचतंत्र नामक ग्रंथ की रचना की। इस ग्रंथ में पांच तंत्र शामिल थे—

  1. मित्रभेद – इसमें मित्रों के बीच में मनमुटाव और अलगाव की कहानियाँ हैं।
  2. मित्रलाभ – इसमें सच्चे मित्रों के प्राप्ति और उसके लाभ के बारे में बताया गया है।
  3. काकोलुकीयम् – इसमें कौवों और उल्लुओं की कहानी के माध्यम से युद्ध और सन्धि का महत्व समझाया गया है।
  4. लब्धप्रणाश – इसमें हाथ लगी चीज़ के हाथ से निकल जाने या उसके नष्ट होने की कहानियाँ हैं।
  5. अपरीक्षित कारक – इसमें बिना सोचे-समझे कोई कार्य करने से बचने की शिक्षा दी गई है।

इन कहानियों में मानव पात्रों के साथ-साथ पशु-पक्षियों का भी प्रमुख स्थान है। यह कहानियाँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि इनमें जीवन के हर पहलू की समझ को सरल और रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। यही वजह है कि पंचतंत्र का अनुवाद विश्व की लगभग हर भाषा में हो चुका है।

यह पुस्तक हमें सिखाती है कि जीवन में बुद्धिमानी, धैर्य, और सच्चे मित्रों का कितना महत्व है। पंचतंत्र के पाठ केवल बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि हर उम्र के व्यक्ति के लिए शिक्षाप्रद हैं। विष्णु शर्मा ने कहानियों के माध्यम से जीवन के गूढ़ सिद्धांतों को सरल और सुगम बनाया है ताकि हर कोई इसे समझ सके और अपने जीवन में इसका अनुसरण कर सके।

पंचतंत्र की कहानियाँ न केवल बच्चों को बल्कि बड़ों को भी प्रभावित करती हैं। वे हमें बताते हैं कि कैसे जीवन में नीति, मित्रता, समझदारी, और धैर्य का महत्व है। महापंडित विष्णु शर्मा की ये कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं और हमें जीवन के हर पहलू में सही निर्णय लेने की सीख देती हैं।

उम्मीद है कि आपको आज का यह विचार का सत्र पसंद आया होगा। पंचतंत्र की कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि समझदारी और विवेक से हम जीवन की किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। धन्यवाद, और अगले एपिसोड में फिर मिलेंगे।

आशा है कि आप पंचतंत्र की इन कहानियों को आप सचेतन में सुनकर न केवल आनंदित होंगे, बल्कि इससे कुछ सीख भी पाएंगे। धन्यवाद!

श्रोताओं, हम अगली कड़ी में मिलेंगे, पंचतंत्र के बारे में और थोड़ा जानेंगे और फिर इसकी रोचक कहानी के साथ आपके लिए विचार रखेगे। तब तक के लिए, खुश रहें, सीखते रहें और अपने आसपास के लोगों के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखें। नमस्कार।

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