विश्व ध्यान दिवस 2024: ध्यान की विधि और भगवद् गीता में इसके लाभ
विश्व ध्यान दिवस हर साल 21 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन आत्म-चिंतन, शांति और मानसिक स्थिरता के लिए ध्यान की प्राचीन प्रथाओं की महत्ता को समझाने और प्रचारित करने के लिए समर्पित है।
ध्यान की विधि (Meditation Method):
भगवद् गीता के अनुसार, ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य अपने मन को स्थिर और शांत करे। गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को ध्यान का महत्व समझाते हुए कहते हैं:
- स्थान का चुनाव: एक स्वच्छ, शांत और पवित्र स्थान ध्यान के लिए उपयुक्त होता है।
- सही आसन: सुखासन या पद्मासन जैसे स्थिर और आरामदायक आसन अपनाएं।
- एकाग्रता: अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और बाहरी विकर्षणों से दूर रहें।
- समता का भाव: मन में किसी प्रकार की इच्छा या द्वेष को छोड़ दें।
- समय का चयन: सुबह और शाम का समय ध्यान के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है।
भगवद् गीता में ध्यान का महत्व (Benefits as per Bhagavad Gita):
भगवद् गीता के छठे अध्याय (ध्याय योग) में भगवान श्रीकृष्ण ने ध्यान के लाभ और इसे अपनाने के तरीकों को विस्तार से बताया है।
- आध्यात्मिक उन्नति: ध्यान व्यक्ति को आत्मा और परमात्मा के साथ जुड़ने का साधन प्रदान करता है।
- मन की शुद्धता: ध्यान मन के विकारों को शांत करता है और इसे शुद्ध और स्थिर बनाता है।
- सुख और शांति: ध्यान से अंतःकरण में शांति और स्थायी सुख की अनुभूति होती है।
- सत्य का बोध: ध्यान व्यक्ति को सच्चाई और आत्म-बोध की ओर प्रेरित करता है।
- विकारों से मुक्ति: गीता में कहा गया है कि ध्यान व्यक्ति को मोह, क्रोध, और लोभ से मुक्ति दिलाता है।
भगवद् गीता का उद्धरण:
“योगी युञ्जीत सततमात्मानं रहसि स्थितः। एकाकी यतचित्तात्मा निराशीरपरिग्रहः।।”
(अध्याय 6, श्लोक 10)
अर्थ: एक योगी को शांत और एकांत स्थान पर स्थिर होकर निरंतर अपने मन को योग में लगाना चाहिए।
निष्कर्ष:
ध्यान व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारने का साधन है। भगवद् गीता में इसे आत्मा की गहराई को समझने और परमात्मा के साथ एकाकार होने का माध्यम बताया गया है। इस ध्यान दिवस पर आइए, हम सब इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और शांति और संतोष का अनुभव करें।विश्व ध्यान दिवस 2024 की शुभकामनाएं! 🌼