सचेतन, पंचतंत्र की कथा-61 : भगवान ने जो लिखा है, उसे कोई नहीं मिटा सकता।

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-61 : भगवान ने जो लिखा है, उसे कोई नहीं मिटा सकता।

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जब हिरण्यक और लघुपतनक बातचीत कर रहे थे, मंथरक भी वहां आ पहुंचा। हिरण्यक ने चिंता जताई कि अगर शिकारी आता है, तो मंथरक की वजह से सबको खतरा हो सकता है। उन्होंने मंथरक को लौट जाने को कहा, लेकिन मंथरक ने बताया कि वह अपने मित्र के दुःख को सहन नहीं कर पा रहा था, इसलिए वहां आया। उसने कहा कि मित्रों का साथ ही सबसे बड़ी ताकत है।

जब वह सब कुछ कह रहा था, उसी समय एक शिकारी जिसने अपने कान तक धनुष की डोरी खींच रखी थी, वहां पहुँच गया। चूहे ने शिकारी को देखते ही चित्रांग को बाँधने वाली रस्सी को तुरंत काट दिया और चित्रांग तेजी से पीछे मुड़कर भाग गया। लघुपतनक पेड़ पर चढ़ गया और हिरण्यक पास के एक बिल में घुस गया। हिरण के भाग जाने से शिकारी उदास हो गया और सोचा, “हालांकि विधाता ने हिरण को मेरे हाथ से निकाल लिया, फिर भी उसने मेरे भोजन के लिए इस कछुए का प्रबंध कर दिया है। इसके मांस से मेरे परिवार का भोजन होगा।” यह सोचकर वह कछुए को घास में छिपाकर, अपने कंधे पर रखकर घर की ओर चल पड़ा।

जब शिकारी उसे ले जा रहा था, हिरण्यक ने दुखी होकर कहा, “हाय! अब तो बड़ा दुःख आ पहुँचा है। मैं एक दुःख से अभी उभरा भी नहीं था कि दूसरा दुःख मेरे सामने आ गया। जहाँ छेद होता है वहाँ अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। जब तक रास्ते में कोई बाधा नहीं आती तब तक सब ठीक चलता है, पर जैसे ही बाधा आती है, हर कदम पर तकलीफ होती है। जो व्यक्ति नम्र और सरल होता है, वह संकट में नहीं मिटता। बातों में बहुत गहराई है। यह सच है कि जब जीवन में बाधाएँ आती हैं, तब हमें अपनी सहनशीलता और धैर्य की परीक्षा देनी पड़ती है। नम्रता और सादगी वास्तव में उन गुणों में से हैं जो कठिन समय में हमें मजबूत बनाते हैं और हमारे चरित्र को निखारते हैं। इस प्रकार की सोच हमें संकटों का सामना करने के लिए अधिक सक्षम बनाती है और जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक योगदान देती है।

शुद्ध वंश में जन्मे धनुष, मित्र और स्त्री दुर्लभ होते हैं। यह कहावत या कथन व्यक्ति के जीवन में गुणवत्ता और महत्वपूर्ण संबंधों के महत्व को दर्शाता है। यह सुझाव देता है कि उच्च वंश या कुलीन परिवार से जन्मे व्यक्तियों के लिए एक अच्छा धनुष, सच्चा मित्र, और समर्पित पत्नी पाना दुर्लभ हो सकता है। इसमें धनुष का उपयोग एक प्रतीक के रूप में किया जा सकता है, जो कौशल और निपुणता को दर्शाता है, मित्र का संदर्भ विश्वसनीयता और समर्थन को दर्शाता है, और स्त्री का संदर्भ घरेलू और भावनात्मक संबल प्रदान करने वाली जीवनसाथी को दर्शाता है। यह बताता है कि ये तीनों गुण या वस्तुएं प्राप्त करना असाधारण और मूल्यवान होता है, और इन्हें प्राप्त करने में बहुत प्रयास और सौभाग्य की आवश्यकता होती है।

माँ, पत्नी, भाई और पुत्र में वह विश्वास नहीं होता जो एक घनिष्ठ मित्र में होता है। यह विचार बताता है कि एक घनिष्ठ मित्र के साथ हमारा विश्वास कई बार हमारे परिवार के सदस्यों से भी अधिक हो सकता है। दोस्ती में एक अनूठी समझ और विश्वास होता है जो समय के साथ विकसित होता है, और यह विश्वास दोस्तों को एक-दूसरे के साथ अपने सबसे गहरे रहस्य और भावनाएं साझा करने की अनुमति देता है। जबकि परिवार भी एक महत्वपूर्ण सहारा होता है, कभी-कभी दोस्त हमें वह समझ और स्वीकार्यता प्रदान करते हैं जिसकी हमें ज़रूरत होती है।

जिस समय ने मेरे घन को नष्ट किया, उसी समय ने रास्ते में थके हुए मेरे लिए विश्राम देने वाले मित्र को भी छीन लिया। फिर मंथरक जैसा दूसरा मित्र नहीं हो सकता। गरीबी में लाभ, गुप्त बातें बताना और संकट से मुक्ति, ये सभी मित्रता के फल हैं।इस पंक्ति में दोस्ती के महत्व और उसके गुणों की गहराई से वर्णन किया गया है। यह बताता है कि कैसे एक सच्चा मित्र न केवल सुख में बल्कि दुख में भी साथ देता है। मंथरक नामक मित्र का उल्लेख करके इसे और भी व्यक्तिगत और सजीव बनाया गया है। यह शिक्षा देती है कि असली मित्र वही होता है जो गरीबी में लाभ पहुंचाने, गुप्त बातें सुरक्षित रखने और संकट के समय में मुक्ति दिलाने में सक्षम हो। यह भावपूर्ण वर्णन मित्रता के सच्चे स्वरूप को प्रकट करता है।

इसके बाद मेरे पास ऐसा कोई दूसरा मित्र नहीं है। हे विधाता! तुम मेरे ऊपर दुखों की बारिश क्यों कर रहे हो? क्योंकि पहले मेरी धन-संपत्ति नष्ट हुई, फिर मैं अपने परिवार से बिछड़ा, उसके बाद देश छोड़ना पड़ा और अब मित्र का वियोग हो रहा है। शायद यही प्राणियों के जीवन का धर्म है। जैसा कि कहा गया है: “शरीर सदैव विनाश के करीब है, संपत्ति क्षणभंगुर है, संयोग के साथ ही वियोग भी होता है, यह सब प्राणियों के लिए सत्य है।” यह शब्द जीवन के गहरे सत्य को व्यक्त करते हैं और यह दर्शाते हैं कि कैसे सभी चीजें—चाहे वह संपत्ति हो, रिश्ते हों या जीवन की अन्य परिस्थितियाँ—क्षणिक हैं। यह जीवन की अनित्यता को दर्शाता है, जहाँ सुख-दुख, समृद्धि और विपत्ति, संयोग और वियोग सभी चीजें आती और जाती रहती हैं।

इसे स्वीकार करना और इसके साथ जीना सीखना, यही जीवन की कला है। हमें अपनी आंतरिक शक्ति और सहनशीलता को बढ़ाना होता है ताकि हम इन उतार-चढ़ावों का सामना कर सकें और फिर भी आशा की किरण को पहचान सकें।

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