सचेतन- 10: विज्ञान (Vijnana) – विवेकशील बुद्धि
‘विज्ञान’ का अर्थ है – विशेष ज्ञान या विवेकपूर्ण बुद्धि, जो चीज़ों को समझने, परखने और निर्णय लेने में हमारी मदद करती है।
यह केवल जानकारी (Information) नहीं, बल्कि समझदारी (Wisdom) है – सही और गलत में फर्क करने की बुद्धि।
🔍 मुख्य कार्य:
- विचारों का विश्लेषण करना
- अच्छे-बुरे, सही-गलत में अंतर करना
- निर्णय लेना और कर्म की दिशा तय करना
- सत्य को पहचानना, भ्रम को दूर करना
🌼 उदाहरण से समझें:
मान लीजिए आपने एक मिठाई देखी।
- मनस् सोचता है — “वाह! कितनी स्वादिष्ट लग रही है!”
- लेकिन विज्ञान पूछता है — “क्या मैं उपवास पर हूँ?” “क्या यह मिठाई मेरे स्वास्थ्य के लिए ठीक है?”
यह विज्ञान की भूमिका है — भावनाओं से ऊपर उठकर विवेक से निर्णय लेना।
🧘 आध्यात्मिक दृष्टि से विज्ञान:
उपनिषदों में कहा गया है —
“विज्ञानं यज्ञं तनुते” – विज्ञान ही यज्ञ (पवित्र जीवन) का विस्तार करता है। यह बुद्धि आत्मा की ओर ले जाने वाली प्रकाशमान सीढ़ी है।
“विज्ञानं यज्ञं तनुते” का अर्थ है — विज्ञान (ज्ञान का प्रयोग) ही यज्ञ का विस्तार करता है। यह केवल प्रयोगशाला या किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन को पवित्र, उद्देश्यपूर्ण और आत्म-केन्द्रित बनाने का मार्ग है। यह हमारी बुद्धि को आत्मा की ओर ले जाने वाली एक प्रकाशमान सीढ़ी है।
जब मन स्थिर होता है, तब विज्ञान जाग्रत होता है — और जब विज्ञान शुद्ध होता है, तब प्रज्ञा (आत्मिक बोध) प्रकट होती है।
🌟 प्रेरणात्मक कहानी: विवेक का दीपक
एक बार एक बालक अपने गुरु से बोला —
“गुरुदेव, हर बार मैं क्रोध में आ जाता हूँ और बाद में पछताता हूँ। मैं क्या करूं?”
गुरुजी ने उसे एक दीपक दिया और कहा —
“जब भी मन में कोई विचार आए, तो यह दीपक जलाओ और सोचो — यह विचार कितना सच्चा है, और इसका फल क्या होगा?”
बालक ने वैसा ही किया। हर बार दीपक जलता, और उस प्रकाश में वह क्रोध, लालच, मोह के विचारों को पहचानने लगा। धीरे-धीरे, उसने बिना कहे, बिना लड़ते हुए — अपने मन को जीत लिया।
गुरुजी ने कहा — “बेटा, यही विज्ञान है — विचारों के अंधेरे में विवेक का दीपक। जब यह जलता है, तब तुम सही राह चुनते हो।”
- विज्ञान का अर्थ केवल पढ़ाई या विषय ज्ञान नहीं है।यह जीवन को समझने की एक पद्धति है — सोचने का तरीका, देखने की दृष्टि और सत्य को खोजने का साहस।
- विज्ञान जिज्ञासा से शुरू होता है और विवेक तक पहुँचता है।
- यह हमें केवल उत्तर नहीं देता, बल्कि प्रश्न पूछना सिखाता है।
- यह वह आंतरिक प्रकाश है, जिससे हम जीवन के हर मोड़ पर निर्णय ले पाते हैं।
- विज्ञान वही है जो ज्ञान को अनुभव और प्रयोग में बदलता है।
छोटा दीपक और बड़ी खोज”
एक छोटे से गाँव में दीपक नाम का एक लड़का रहता था। वह स्कूल में औसत छात्र था — न तो बहुत होशियार, न ही सबसे कमजोर। लेकिन उसकी एक खास बात थी — वह हर चीज़ को “क्यों?” से शुरू करता था।
एक दिन स्कूल में टीचर ने बताया कि पौधे सूर्य की रोशनी से भोजन बनाते हैं। बाकी बच्चे चुपचाप सुनते रहे, पर दीपक का सवाल था — “लेकिन बारिश के दिनों में जब सूरज नहीं निकलता, तो पौधे क्या खाते हैं?”
टीचर मुस्कुरा दिए, बोले – “अगली बार खुद खोज कर बताओ।”
दीपक ने पेड़-पौधों को ध्यान से देखना शुरू किया। उसने देखा कि कुछ पौधे धूप कम मिलने पर भी हरे-भरे रहते हैं, जबकि कुछ मुरझा जाते हैं। उसने लाइब्रेरी से किताबें पढ़ीं, इंटरनेट पर वीडियो देखे, और गांव के एक बुज़ुर्ग बाग़बान से बातचीत की।
आख़िरकार, दीपक ने समझा कि कुछ पौधे अपनी पत्तियों की बनावट से अधिक प्रकाश सोख सकते हैं, और कुछ ज़मीन से अधिक पोषक तत्व खींच लेते हैं। यह सब विज्ञान था — लेकिन किताब के बाहर का।
स्कूल प्रोजेक्ट में जब उसने अपने निष्कर्ष सबके सामने रखे, तो सब दंग रह गए। टीचर ने सराहना करते हुए कहा:
“देखो बच्चों, यही असली विज्ञान है — केवल पढ़ाई नहीं, बल्कि चीज़ों को देखने, सोचने और समझने का तरीका।”
दीपक मुस्कराया। अब वह ‘औसत’ नहीं रहा था — वह एक खोजकर्ता बन चुका था।शिक्षा: विज्ञान सिर्फ विषय नहीं, जीवन को देखने की दृष्टि है। प्रश्न पूछना, खोज करना और समझने की जिज्ञासा ही इसका सार है।