सचेतन- 37 वेदांत सूत्र: चार अध्यायों में जीवन का मार्ग
वेदांत सूत्र कुल चार अध्यायों में विभाजित है।
ये चारों अध्याय केवल दर्शन नहीं बताते, बल्कि जीवन के चार कदम सिखाते हैं —
ज्ञान से लेकर मुक्ति (आनंद) तक की यात्रा।
| क्रम | अध्याय का नाम | विषय | जीवन से सम्बन्ध |
| 1️⃣ समाधि / सम्बन्ध अध्याय | ब्रह्म का स्वरूप | बताता है कि ब्रह्म ही इस जगत का कारण, आधार और सत्य है। | जीवन में यह समझना कि “मैं केवल शरीर नहीं, आत्मा हूँ — जो ब्रह्म से जुड़ा है।” |
| 2️⃣ अविरोध अध्याय | विरोधों का समाधान | अन्य दर्शनों (सांख्य, योग, न्याय आदि) के मतभेदों को तर्क से सुलझाकर वेदांत की पुष्टि करता है। | हमें सिखाता है कि विचारों में भिन्नता होते हुए भी सत्य एक ही है। |
| 3️⃣ साधन अध्याय | साधना का मार्ग | कर्म, भक्ति, ध्यान और ज्ञान — इन चार साधनों से मुक्ति का मार्ग बताता है। | यह अध्याय बताता है कि आत्म-ज्ञान के लिए प्रेम, सेवा और अनुशासन जरूरी हैं। |
| 4️⃣ फल अध्याय | मोक्ष का अनुभव | जीव और ब्रह्म की एकता तथा ब्रह्मानंद की प्राप्ति का वर्णन करता है। | यह सिखाता है कि जब मन, बुद्धि और आत्मा एक हो जाएँ — तभी सच्चा आनंद (मोक्ष) मिलता है। |
ब्रह्म (परम सत्य) ही इस जगत का मूल कारण, आधार और सार है।
सारी सृष्टि उसी से उत्पन्न होती है और अंत में उसी में लीन हो जाती है।
