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सचेतन :41. श्री शिव पुराण- शिव पंचाक्षर स्तोत्र

सचेतन :41. श्री शिव पुराण- शिव पंचाक्षर स्तोत्र Sachetan:Shiv Panchakshar Stotra प्रणव मंत्र ॐ पहले शिव जी के उत्तरवर्ती मुख से अकार के रूप में, पश्चिम – मुखसे उकार के रूप में, दक्षिण मुखसे मकार के रूप में और इ पूर्ववर्ती मुख से विन्दुका तथा मध्यवर्ती मुख – नादका प्राकट्य हुआ। इस प्रकार पाँच अवयवोंसे […]

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सचेतन :40. श्री शिव पुराण- पंचाक्षर मन्त्र – ॐ नमः शिवाय और ​​भगवान शिव का ध्यान

सचेतन :40. श्री शिव पुराण- पंचाक्षर मन्त्र – ॐ नमः शिवाय और ​​भगवान शिव का ध्यान  Sachetan:Panchakshara Mantra – Om Namah Shivay and Meditation on Lord Shiva सृष्टि’, ‘पालन’, ‘संहार’, ‘तिरोभाव’ और ‘अनुग्रह’ – यह पांच  जगत संबंधी कार्य हैं जो नित्य सिद्ध है संस्कार है। इनमें से जो पाँचवाँ कृत्य अनुग्रह है वह मोक्ष […]

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सचेतन :39. श्री शिव पुराण- रचनाओं के प्रतिपादन के लिए प्रणव और पंचाक्षर …

Sachetan:Pranav and Panchakshara mantras for the rendering of creations पांच  कृतियों का प्रतिपादन, प्रणव एवं पंचाक्षर मंत्र की महत्ता, ब्रह्मा, विष्णु द्वारा भगवान शिव की स्तुति तथा उनका  अंतर्धान करके पाया है।  भगवान शिव कहते हैं की मेरे भक्तजन इन पाँचों कृत्यों को पाँचों भूतों में देखते हैं। सृष्टि भूतल में, स्थिति जल में, संहार […]

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सचेतन :39. श्री शिव पुराण- रचनाओं के प्रतिपादन के लिए प्रणव और पंचाक्षर मंत्र

सचेतन :39. श्री शिव पुराण- रचनाओं के प्रतिपादन के लिए प्रणव और पंचाक्षर मंत्र Sachetan:Pranav and Panchakshara mantras for the rendering of creations पांच  कृतियों का प्रतिपादन, प्रणव एवं पंचाक्षर मंत्र की महत्ता, ब्रह्मा, विष्णु द्वारा भगवान शिव की स्तुति तथा उनका  अंतर्धान करके पाया है।  भगवान शिव कहते हैं की मेरे भक्तजन इन पाँचों […]

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सचेतन :37. श्री शिव पुराण- कर्म का संचय और उसके भोगों का निर्धारण

सचेतन :37. श्री शिव पुराण- कर्म का संचय और उसके भोगों का निर्धारण Sachetan: Accumulation of Karma and Determination of its Enjoyments विचार से कर्म की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है, आदत से चरित्र की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके प्रारब्ध की उत्पत्ति होती है। यहाँ तक की […]

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सचेतन :36. श्री शिव पुराण- एक ‘कर्म योगी’ के संचित कर्म और प्रारब्ध कर्म उन्हें पाप कर्मों से दूर रहते हैं।

सचेतन :36. श्री शिव पुराण- एक ‘कर्म योगी’ के संचित कर्म और प्रारब्ध कर्म उन्हें पाप कर्मों से दूर रहते हैं। Sachetan: The Sanchita Karma and Prarabdha Karma of a ‘Karma Yogi’ stay him away from sinful deeds. सूक्ष्म पदार्थों का सकल पदार्थों में परिवर्तन। श्रृष्टि से पहले सब कुछ निराकार, नाम विहीन होता है। […]

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सचेतन :31. श्री शिव पुराण- पांच कृतियों में सृष्टि का प्रतिपादन-2

सचेतन :31. श्री शिव पुराण- पांच  कृतियों में सृष्टि का प्रतिपादन-2  Sachetan: Rendering of creation in five works  कृति और विकृति हमारे व्यवहार तथा वास्तविक को पहचान को संदर्भित कृति है। हम ख़ुद की जिम्मेदारियों तथा अपनी देखभाल करने में समर्थ या असमर्थ हो जाते हैं। यह हमारे कृति और मनोस्थिति दोनों का प्रभाव है। […]

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सचेतन :29. श्री शिव पुराण- अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर आइये हम सुगम्य और न्यायसंगत समुदाय के लिए समावेशी विकास की ओर बढ़ें

सचेतन :29. श्री शिव पुराण-  अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर आइये हम सुगम्य और न्यायसंगत समुदाय के लिए समावेशी विकास की ओर बढ़ें  Sachetan: On International Day of Persons with Disabilities, let us move towards inclusive development for an accessible and equitable community चाहे पृथ्वी हो या शरीर हो या फिर समाज या राष्ट्र ये सभी […]

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सचेतन :28. श्री शिव पुराण- पृथ्वी, शरीर, समाज या राष्ट्र ये सभी लिंग रूप की संकल्पना है।-2

सचेतन :27-28. श्री शिव पुराण-  पृथ्वी, शरीर, समाज या राष्ट्र ये सभी लिंग रूप  की संकल्पना है।1-2 Sachetan: Earth, body, society or nation, all these are the concepts of linga roop. विद्येश्वर संहिता यह पूरा ब्रह्मांड पूरी पृथ्वी सबसे पहले लिंग रूप से प्रकट होकर बहुत बड़ा हुआ है। अतः उस लिंग के कारण यह […]

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सचेतन :27. श्री शिव पुराण- पृथ्वी, शरीर, समाज या राष्ट्र ये सभी लिंग रूप की संकल्पना है।

सचेतन :27. श्री शिव पुराण-  पृथ्वी, शरीर, समाज या राष्ट्र ये सभी लिंग रूप  की संकल्पना है। Sachetan: Earth, body, society or nation; all these are the concepts of linga roop. विद्येश्वर संहिता यह पूरा ब्रह्मांड पूरी पृथ्वी सबसे पहले लिंग रूप से प्रकट होकर बहुत बड़ा हुआ है। अतः उस लिंग के कारण यह […]