सचेतन- 38 वेदांत सूत्र: जीवन से सम्बन्ध

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सचेतन- 38 वेदांत सूत्र: जीवन से सम्बन्ध

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स्वागत है “जीवन के सूत्र” में।
आज हम बात करेंगे उस सबसे सुंदर शब्द की —
“सम्बन्ध”।

वेदांत कहता है —

“ब्रह्म ही सबका कारण और आधार है।”
इसका मतलब है कि हम सब एक ही चेतना से जुड़े हैं —
एक अदृश्य सूत्र से, जिसे हम “सम्बन्ध” कहते हैं।

एक छोटी सी कहानी है —

एक गाँव में एक वृद्ध व्यक्ति था, जिसका नाम रामदास था।
वह मंदिर के बाहर बैठकर सबको उपदेश देता था,
लेकिन धीरे-धीरे लोग उससे दूर होने लगे।

एक दिन उसका बेटा शहर चला गया और कभी लौटा नहीं।
रामदास अकेला रह गया।
वह रोज़ कहता — “लोग स्वार्थी हो गए हैं, अब किसी को प्रेम की परवाह नहीं।”

एक शाम गाँव का एक बच्चा उसके पास आया और बोला —
“बाबा, जब सब चले गए तो आप किससे बात करते हैं?”
रामदास ने चुपचाप कहा — “अपने आप से।”

बच्चा मुस्कराया — “फिर तो आप अकेले कहाँ हैं,
आपके भीतर भी तो कोई है ना — जो आपको सुनता है।”

रामदास की आँखों में आँसू आ गए।
उसे लगा जैसे कोई परदा हट गया हो —
वह समझ गया कि सच्चा सम्बन्ध बाहर नहीं, भीतर से शुरू होता है।

जीवन से सम्बन्ध:
यह समझना कि —

“मैं केवल शरीर नहीं, मैं आत्मा हूँ — जो ब्रह्म से जुड़ी हुई है।”

जब यह अनुभूति आती है,
तो व्यक्ति का दृष्टिकोण बदल जाता है —
अब वह अपने रूप, पद या वस्तुओं से नहीं,
बल्कि अपने भीतर के प्रकाश से पहचानता है।

परिणाम:

  • अहंकार घटता है — क्योंकि अब मैं ‘मैं’ नहीं, ‘हम सब’ देखता हूँ।
  • शांति बढ़ती है — क्योंकि मन सीमित नहीं रहता, अनंत से जुड़ जाता है।
  • करुणा बढ़ती है — क्योंकि हर प्राणी उसी चेतना का हिस्सा है।

सरल शब्दों में:
जब हम यह मान लेते हैं कि

“मैं शरीर नहीं, आत्मा हूँ,”
तभी जीवन में सच्ची स्वतंत्रता और शांति आती है।

 यह हमें सिखाता है कि —

“मैं केवल यह शरीर या मन नहीं हूँ,
बल्कि उस परम चेतना (ब्रह्म) का अंश हूँ।”

दोस्तों, यही वेदांत की सच्ची सीख है —
जब हम अपने भीतर के ब्रह्म, उस परम चेतना से जुड़ते हैं,
तभी हम हर व्यक्ति से सच्चा सम्बन्ध बना पाते हैं।

सम्बन्ध का अर्थ है —
“मैं और तुम नहीं, बल्कि हम।”
यही एकता का भाव प्रेम, करुणा और शांति लाता है।

अलग-अलग विचार, भाषा या धर्म होने पर भी
अगर मन में एकता है, तो वही सच्चा सम्बन्ध है।

तो याद रखिए —
सम्बन्ध सिर्फ रिश्तों का नाम नहीं,
यह जीवन की ऊर्जा है जो हमें जोड़ती है।

वेदांत कहता है —

“जो सबको एक में देखता है, वही सच्चा ज्ञानी है।”

आज एक पल रुकिए,
और सोचिए —
क्या मैं अपने भीतर और दूसरों से सच में जुड़ा हूँ? 🌿धन्यवाद दोस्तों 🙏
फिर मिलेंगे अगले एपिसोड में —

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