पंचतंत्र के भागपंचतंत्र भारतीय साहित्य की एक प्रसिद्ध और प्राचीनतम रचना है, जिसे संस्कृत में लिखा गया था। यह नीतिशास्त्र और नैतिकता पर आधारित कहानियों का संग्रह है। इसकी रचना आचार्य विष्णु शर्मा ने की थी। पंचतंत्र को पाँच भागों में विभाजित किया गया है, और प्रत्येक भाग जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को सिखाने के […]
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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-44 : परिव्राजक और चूहे की यह कहानी
“नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका ‘सचेतन पॉडकास्ट’ के इस खास एपिसोड में, जहाँ हमने सुनी पंचतंत्र की कथा ‘विश्वास और मित्रता की परीक्षा।’ पिछले सत्र में हमने जाना कि कैसे लघुपतनक नामक कौए और हिरण्यक नामक चूहे के बीच सतर्कता और विवेक से भरोसेमंद मित्रता का आरंभ हुआ, और कैसे उन्होंने सच्चे मित्र की तरह […]
सचेतन, पंचतंत्र की कथा-43 : “विश्वास और मित्रता की परीक्षा”
“नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका ‘सचेतन पॉडकास्ट’ में, जहाँ हम प्रेरणादायक और विचारशील कहानियाँ आपके साथ साझा करते हैं। आज की कहानी है ‘विश्वास और मित्रता की परीक्षा’, जो हमें सिखाती है कि सच्ची मित्रता, विश्वास और समझ से परिपूर्ण होती है। तो आइए, इस रोचक कहानी को सुनते हैं।” एक जंगल में लघुपतनक नामक […]
सचेतन, पंचतंत्र की कथा-42 : हिरण्यक और लघुपतनक की कथा
मित्रता सुबह और दोपहर की छाया के समान है – शुरुआत में छोटी, लेकिन समय के साथ बढ़ती जाती है। पिछले सत्र में हमने सुना की दक्षिण भारत के महिलारोप्य नामक नगर के पास एक घना बरगद का पेड़ था, जहां लघुपतनक नाम का बुद्धिमान कौआ रहता था। एक दिन उसने देखा कि एक बहेलिया […]
सचेतन, पंचतंत्र की कथा-41 : लालच और अनदेखी चेतावनी
“नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका ‘सचेतन पॉडकास्ट’ के एक और रोमांचक और प्रेरणादायक एपिसोड में। आज की कहानी है ‘कौआ, कबूतर और बहेलिये की।’ यह कहानी हमें सिखाएगी कि लालच और अज्ञान से बचकर कैसे समझदारी और धैर्य से जीवन में संकटों को टाला जा सकता है। तो चलिए, शुरू करते हैं।” कहानी का आरंभ […]
सचेतन, पंचतंत्र की कथा-40 : तीन मछलियों की कथा
“नमस्कार, दोस्तों! आप सुन रहे हैं ‘सचेतन पॉडकास्ट’, जहाँ हम लाते हैं ज्ञानवर्धक कहानियाँ और उनकी सीख। पिछले एपिसोड में हमने टिटिहरी और समुद्र की कहानी सुनी, जो अहंकार, अति आत्मविश्वास और सलाह को नजरअंदाज करने के खतरों पर आधारित थी। टिटिहरी का जोड़ा समुद्र किनारे अपने अंडे रखने का फैसला करता है, जबकि मादा […]
सचेतन, पंचतंत्र की कथा-39 : टिटिहरी और समुद्र की कहानी
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका “सचेतन” के नए एपिसोड में। किसी देश में समुद्र किनारे टिटिहरी पक्षी का एक जोड़ा रहता था। एक दिन मादा टिटिहरी ने गर्भधारण के बाद नर से कहा,“मेरे प्यारे! अब मेरा प्रसव समय आ गया है। कृपया कोई ऐसा सुरक्षित स्थान खोजिए, जहाँ मैं अपने अंडे दे सकूं।” नर टिटिहरा […]
सचेतन, पंचतंत्र की कथा-38 : लोहे की तराजू और बनिए की कथा-2
करटक ने दमनक को समझाते हुए कहा कि मूर्ख व्यक्ति अपनी कुबुद्धि और स्वार्थ के कारण अक्सर ऐसा कार्य कर बैठता है, जिससे दूसरों का नुकसान होता है और अंततः वह स्वयं भी नष्ट हो जाता है। उसने जोर दिया कि किसी भी उपाय को अपनाने से पहले उसके खतरों और परिणामों पर ध्यान देना […]
सचेतन, पंचतंत्र की कथा-37 : लोहे की तराजू और बनिए की कथा
हमने धर्मबुद्धि और पापबुद्धि की कथा और बगला, सांप और केकड़े की कहानी सुना और यह जाना कि किस तरह बिना सोचे-समझे कोई उपाय करना विनाश को आमंत्रित कर सकता है।जिस स्थान पर छोटी-छोटी बातें अनदेखी की जाती हैं और मूर्खता या दुष्टता को बढ़ावा दिया जाता है, वहाँ बड़ी-बड़ी समस्याएँ स्वतः ही उत्पन्न हो […]
सचेतन, पंचतंत्र की कथा-36 : बगला, सांप और केकड़े की कहानी
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका “सचेतन” के नए एपिसोड में। पिछले एपिसोड में हमने धर्मबुद्धि और पापबुद्धि की कहानी सुनी, जिसमें हमने सीखा कि बिना सोचे-समझे उठाए गए कदम विनाशकारी हो सकते हैं। आज की कहानी भी एक ऐसी ही सीख देती है, जहां एक बगले ने अपनी मूर्खता से अपने पूरे परिवार का नाश […]