सचेतन- 16: विवेक से निर्णय (Wise Discernment) विवेक का अर्थ है — सही और गलत, उचित और अनुचित, टिकाऊ और अस्थायी के बीच स्पष्ट समझ। जब कोई व्यक्ति प्रज्ञा (आत्मिक बुद्धि) के प्रकाश में निर्णय करता है, तो उसे कहते हैं विवेक से निर्णय। 🌿 विवेक से निर्णय क्या होता है? 🧭 विवेकपूर्ण निर्णय का […]
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सचेतन- 14: आत्मनिरीक्षण (Self-Reflection)
जब हम प्रज्ञा को विकसित करते हैं, तो हमारी चेतना भी गहराई पाती है। यह विकास चार चरणों में समझा जा सकता है: 🌱 1. आत्मनिरीक्षण (Self-reflection): प्रज्ञा हमें सिखाती है कि हम अपने विचारों और भावनाओं को बिना न्याय किए देखें।👉 इससे हम जान पाते हैं कि हम कौन हैं, क्या सोचते हैं, और […]
सचेतन- 13: प्रज्ञा से चेतना का विकास
🧠 प्रज्ञा से चेतना का विकास: चेतना का अर्थ है – जागरूकता।प्रज्ञा का अर्थ है – आत्मिक अनुभव से उत्पन्न गहरी बुद्धि। “आत्मिक अनुभव से उत्पन्न गहरी बुद्धि” का अर्थ है — ऐसा ज्ञान या समझ जो केवल पढ़ाई, तर्क या सोच से नहीं आता, बल्कि स्वयं के भीतर गहराई से अनुभव करके आता है। […]
सचेतन- 12: प्रज्ञा (Prajña) – आत्मबोध या गूढ़ बुद्धि
प्रज्ञा का अर्थ है – वह गहरी बुद्धि जो केवल सोचने या समझने तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मिक अनुभव से उत्पन्न होती है।यह वह स्थिति है जहाँ सत्य का प्रत्यक्ष बोध होता है — न केवल “जानना”, बल्कि “हो जाना”। 🧠 प्रज्ञा की विशेषताएँ: 📜 वेदांत में प्रज्ञा, उपनिषदों में कहा गया है: “प्राज्ञः […]
सचेतन- 11: समझदारी (Wisdom) – अनुभव और विवेक का मेल
जब मन स्थिर होता है, तब विज्ञान जाग्रत होता है — और जब विज्ञान शुद्ध होता है, तब प्रज्ञा (आत्मिक बोध) प्रकट होती है। “जब मन स्थिर होता है…” 👉 यानी जब मन चंचलता छोड़कर शांत और एकाग्र होता है, तब वह इंद्रियों से मिली जानकारियों को सही तरह से ग्रहण कर सकता है। “…तब […]
सचेतन- 10: विज्ञान (Vijnana) – विवेकशील बुद्धि
‘विज्ञान’ का अर्थ है – विशेष ज्ञान या विवेकपूर्ण बुद्धि, जो चीज़ों को समझने, परखने और निर्णय लेने में हमारी मदद करती है। यह केवल जानकारी (Information) नहीं, बल्कि समझदारी (Wisdom) है – सही और गलत में फर्क करने की बुद्धि। 🔍 मुख्य कार्य: 🌼 उदाहरण से समझें: मान लीजिए आपने एक मिठाई देखी। यह […]
सचेतन- 9: मन या मनोवृत्ति
‘मनस्’, ‘विज्ञान’, और ‘प्रज्ञा’ — ये तीनों शब्द भारतीय दर्शन और उपनिषदों में मानव चेतना के विभिन्न स्तरों को दर्शाते हैं। 🧠 मनस् • विज्ञान • प्रज्ञा भारतीय दर्शन में चेतना के तीन सोपान: 🌟 1. मनस् (Manas) – विचारों की शुरुआत इंद्रियों से जानकारी लेकर उसे जोड़ता है और विचार बनाता है।उदाहरण: एक किसान […]
सचेतन- 8: मानव चेतना के विभिन्न स्तर
‘मनस्’, ‘विज्ञान’, और ‘प्रज्ञा’ — ये तीनों शब्द भारतीय दर्शन और उपनिषदों में मानव चेतना के विभिन्न स्तरों को दर्शाते हैं। आइए इन्हें सरल और स्पष्ट भाषा में समझें: 🧠 1. मनस् (Manas) – मन या मनोवृत्ति ‘मनस्’ वह मानसिक शक्ति है जो इंद्रियों से जानकारी ग्रहण करती है, उसे जोड़ती है, और विचारों को […]
सचेतन- 7: आत्मा – चेतना का आधार
🕉️ उपनिषदों के अनुसार ब्रह्म को जानना: 🌟 ब्रह्म को जानने का परिणाम: 📖 एक सरल उदाहरण: जैसे समुद्र की लहरें समुद्र से अलग नहीं होतीं, वैसे ही आत्मा ब्रह्म से अलग नहीं है।ब्रह्म को जानना = यह जानना कि मैं लहर नहीं, मैं स्वयं समुद्र हूँ। 1. अहं ब्रह्मास्मि (Aham Brahmasmi) – मैं ब्रह्म […]
सचेतन- 6: निदिध्यासन – आत्मा का साक्षात्कार
स्वामी विवेकानंद कहते थे — “जब विचारों का शुद्धिकरण हो जाता है, तब मन सत्य में स्थित होता है। तब ज्ञाता और ज्ञेय के बीच भेद मिट जाता है। यही है निदिध्यासन — आत्मा के स्वरूप में स्थित हो जाना।” निष्कर्ष निदिध्यासन आत्म-चिंतन की वह पराकाष्ठा है, जहाँ ‘जानना’ और ‘हो जाना’ एक हो जाता […]