सचेतन- 08: आत्मबोध की यात्रा – “जगत बुदबुदों जैसा है”
“कभी आपने पानी में उठते बुदबुदे देखे हैं?
वे अचानक पैदा होते हैं…
कुछ देर टिकते हैं…
और फिर बिना कोई निशान छोड़े
खुद ही विलीन हो जाते हैं।
शंकराचार्य कहते हैं—
हमारा जीवन और यह पूरा जगत भी
कुछ ऐसा ही है।”
उपादानेऽखिलाधारे जगन्ति परमेश्वरे।
सर्गस्थितिलयान्यान्ति बुद्बुदानीव वारिणि॥८॥
सरल अर्थ
“यह सम्पूर्ण जगत
उस परमेश्वर में उत्पन्न होता है,
उसी में टिकता है,
और उसी में विलीन हो जाता है—
जैसे पानी में
बुदबुदे उठते हैं, रहते हैं,
और फिर पानी में ही मिल जाते हैं।”
बुदबुदे का उदाहरण “दोस्तों,
बुदबुदा क्या है? पानी के अलावा कुछ नहीं।
उसका जन्म— पानी से।
उसका अस्तित्व— पानी पर।
उसका अंत— पानी में।
लेकिन बुदबुदा
खुद को अलग समझता है—
‘मैं आया हूँ,
मैं हूँ,
मैं चला जाऊँगा।’
पानी को क्या फर्क पड़ता है?
न बुदबुदे के आने से,
न उसके जाने से।”
जगत भी ऐसा ही है
“शंकराचार्य कहते हैं— यह पूरा जगत
ब्रह्म में बुदबुदों जैसा है।
जगत का जन्म— ब्रह्म से।
जगत का आधार— ब्रह्म।
जगत का लय— ब्रह्म में।
हम जिन जन्म-मरण,
उत्थान-पतन,
लाभ-हानि को
बहुत बड़ा मानते हैं—
ब्रह्म के दृष्टिकोण से
वे बुदबुदों के आने-जाने जैसे हैं।
ब्रह्म अप्रभावित रहता है।”
“श्लोक में एक महत्वपूर्ण शब्द है— उपादान कारण।
अर्थात—
जिससे चीज़ बनी हो।
जैसे—
सोने से गहना,
मिट्टी से घड़ा,
पानी से बुदबुदा।
शंकराचार्य कहते हैं—
ब्रह्म ही जगत का उपादान कारण है।
इसलिए जगत की जो भी वास्तविकता है,
वह ब्रह्म से आई है—
अपनी नहीं है।”
इसका हमारे जीवन से संबंध
“दोस्तों,
हम जीवन में बहुत डरते हैं—
डरते हैं खोने से,
डरते हैं बदलने से,
डरते हैं मृत्यु से।
लेकिन यह डर
तभी आता है
जब हम खुद को
बुदबुदा मान लेते हैं।
अगर मैं खुद को बुदबुदा मानूँ—
तो हर लहर डरावनी लगेगी।
लेकिन अगर मैं समझ जाऊँ कि—
मैं पानी हूँ,
तो बुदबुदों का आना-जाना
मुझे नहीं हिलाएगा।
यही आत्मबोध है।”
आत्मबोध की दृष्टि
“आत्मबोध यह नहीं कहता
कि जगत नहीं है।
वह कहता है—
जगत है,
पर तुम उससे सीमित नहीं हो।
जगत बदलता रहेगा,
लोग आते-जाते रहेंगे,
शरीर भी बदलेगा—
लेकिन तुम—
जो उसका आधार हो—
अपरिवर्तित हो।”
“दोस्तों,
बुदबुदा पानी से अलग नहीं है—
बस भूल गया है।
हम भी ब्रह्म से अलग नहीं हैं—
बस भूल गए हैं।
जब यह स्मरण लौट आता है—
तो संसार का शोर
शांत हो जाता है।
यही आत्मबोध है।
यही शांति है।Stay Sachetan…
Stay Aware…
Stay Free.”
