सचेतन 3.25 : नाद योग: आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा

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एक आध्यात्मिक सफर

नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र  में। आज हम बात करेंगे एक ऐसे सफर की, जो हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है—आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा।

हम सब इस जीवन में कुछ न कुछ खोज रहे हैं—शांति, खुशी, संतोष, या फिर अपने अस्तित्व का अर्थ। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी आत्मा का असली मकसद क्या है? आत्मा का परम लक्ष्य है परमात्मा से मिलन, और यह सफर आध्यात्मिकता के माध्यम से पूरा होता है।

आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा कोई बाहरी सफर नहीं है, बल्कि यह एक आंतरिक यात्रा है। यह यात्रा हमारे मन, शरीर और आत्मा के भीतर की यात्रा है, जहाँ हम अपने सच्चे स्वरूप को पहचानते हैं और परमात्मा की ओर अग्रसर होते हैं।

इस सफर की शुरुआत होती है आत्म-साक्षात्कार से। आत्म-साक्षात्कार का मतलब है अपने भीतर के सत्य को जानना, अपने असली अस्तित्व को पहचानना। जब हम ध्यान और साधना के माध्यम से अपने मन को शांत करते हैं, तो हमें अपनी आत्मा की गहराइयों में झांकने का अवसर मिलता है। यहीं से शुरू होती है हमारी यात्रा—आत्मा से परमात्मा तक की।

इस यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण है ध्यान। ध्यान वह साधन है, जिससे हम अपनी आत्मा को परमात्मा की ओर ले जा सकते हैं। जब हम नियमित रूप से ध्यान करते हैं, तो हमारा मन शुद्ध और स्थिर हो जाता है। ध्यान के माध्यम से हमें अपने भीतर की दिव्यता का अनुभव होता है, और धीरे-धीरे हम परमात्मा से जुड़ने लगते हैं।

परमात्मा तक की इस यात्रा में हमारे मार्गदर्शक होते हैं—गुरु, शास्त्र, और सबसे महत्वपूर्ण, हमारी आत्मा की पुकार। जब हम इस पुकार को सुनते हैं और उसके अनुसार चलते हैं, तो हमारा जीवन सही दिशा में आगे बढ़ता है।

यह यात्रा हमें सिखाती है कि हम सभी एक ही स्रोत से निकले हैं और अंत में उसी स्रोत में विलीन हो जाते हैं। यह सफर हमें यह भी समझाता है कि परमात्मा केवल एक शक्ति नहीं है, बल्कि वह हमारे भीतर ही है। जब हम अपनी आत्मा को समझ लेते हैं, तो हमें परमात्मा का अनुभव होता है।

आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा केवल आत्म-साक्षात्कार का सफर नहीं है, बल्कि यह एक अनंत प्रेम, शांति, और आनंद का अनुभव भी है। जब हम इस सफर पर निकलते हैं, तो हमें जीवन के सभी कष्ट, दुख, और भटकाव छोटे लगने लगते हैं। हमें इस बात का एहसास होता है कि हमारी सच्ची मंजिल केवल और केवल परमात्मा है।

तो दोस्तों, इस सफर पर निकलें, अपनी आत्मा की गहराइयों में उतरें, और परमात्मा से मिलन का आनंद प्राप्त करें। इस सफर के हर पल का आनंद लें और ध्यान, साधना, और प्रेम के माध्यम से अपने जीवन को सार्थक बनाएं।

आज के सत्र में इतना ही। हमें आशा है कि आपको आत्मा से परमात्मा तक की इस यात्रा के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। हम फिर मिलेंगे एक नए विषय के साथ। तब तक के लिए, ध्यान में रहें, खुश रहें, और इस आध्यात्मिक सफर का आनंद लें।

नमस्कार!

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