सचेतन, पंचतंत्र की कथा-45 : चूहे और भिक्षुक की प्रेरणादायक कहानी

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“नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका ‘सचेतन पॉडकास्ट’ में। आज की कहानी एक चूहे, साधु और भिक्षुक के बीच की है, जो हमें सिखाती है कि आत्मविश्वास और साहस कैसे संसाधनों पर निर्भर करता है। तो आइए, कहानी शुरू करते हैं।”

कहानी की शुरुआत ऐसे हुई की एक दिन, एक भिक्षुक मंदिर की यात्रा पर आया। लेकिन मंदिर के साधु का पूरा ध्यान एक चूहे को डंडे से मारने पर था। साधु भिक्षुक से मिल भी नहीं पाए। इसे अपना अपमान समझते हुए भिक्षुक क्रोधित हो गया और बोला:
“मैं आपके आश्रम में फिर कभी नहीं आऊंगा। लगता है, मेरे आने से ज्यादा आपके अन्य काम महत्वपूर्ण हैं।”

साधु ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया: महोदय, मुझे क्षमा करें। लेकिन यह चूहा मेरी सबसे बड़ी परेशानी बन चुका है। यह किसी भी तरह से मेरे पास से भोजन चुरा ही लेता है।”

साधु की समस्या 

साधु ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा: यह चूहा इतना चालाक और ताकतवर है कि किसी भी बिल्ली या बंदर को हरा सकता है, अगर बात मेरे कटोरे तक पहुँचने की हो। मैंने हर कोशिश कर ली, लेकिन यह किसी न किसी तरीके से भोजन चुरा ही लेता है।”

भिक्षुक ने साधु की बातों को ध्यान से सुना और फिर मुस्कुराते हुए बोला: चूहे में इतनी शक्ति, आत्मविश्वास और चंचलता के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य है। मुझे लगता है कि इसने कहीं बहुत सारा भोजन जमा कर रखा होगा। यही कारण है कि यह अपने आप को बड़ा समझता है और बिना डरे ऊँचा कूदने की हिम्मत करता है।”

चूहे के बिल का पता लगाने की योजना

भिक्षुक ने सुझाव दिया: “अगर हम चूहे के बिल तक पहुँच जाएं, तो हमें इसका भोजन भंडार मिल सकता है। यदि इसका भंडार समाप्त हो गया, तो इसका आत्मविश्वास और ताकत भी खत्म हो जाएगी।”

साधु और भिक्षुक ने फैसला किया कि अगली सुबह वे चूहे का पीछा करेंगे और उसके बिल तक पहुँचेंगे।

चूहे के बिल का खुलासा

अगली सुबह, दोनों ने चूहे का पीछा किया और उसके बिल के पास पहुँच गए। उन्होंने बिल की खुदाई शुरू की। जैसे ही उन्होंने खुदाई पूरी की, वे हैरान रह गए – चूहे ने अनाज का एक विशाल भंडार जमा कर रखा था।

साधु ने तुरंत सारा चुराया हुआ भोजन निकाल लिया और उसे मंदिर में वापस ले गए।

चूहे की हार

जब चूहा वापस अपने बिल में पहुँचा, तो उसने देखा कि उसका पूरा भंडार गायब हो चुका है। इसे देखकर वह बहुत दुखी हुआ। उसे गहरा झटका लगा, और उसने अपना आत्मविश्वास खो दिया।

फिर भी, भूख से परेशान चूहे ने रात में साधु के कटोरे से भोजन चुराने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही वह कटोरे तक पहुँचा, वह धड़ाम से नीचे गिर पड़ा। उसे एहसास हुआ कि अब उसकी ताकत और आत्मविश्वास दोनों खत्म हो चुके हैं।

अंतिम पलायन

साधु ने उसी समय अपनी छड़ी से चूहे पर हमला किया। किसी तरह चूहे ने अपनी जान बचाई और मंदिर से भाग निकला। वह फिर कभी मंदिर लौटकर नहीं आया।

कहानी की शिक्षा

“दोस्तों, इस कहानी से हमें कई महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं:

  1. आत्मविश्वास और ताकत अक्सर हमारे संसाधनों और परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
  2. यदि हमारे पास संसाधनों की कमी न हो, तो हम अद्भुत शक्तियाँ और आत्मविश्वास पा सकते हैं।
  3. मुश्किलों को हल करने के लिए सही दृष्टिकोण और योजना जरूरी है।

याद रखें, आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए हमें अपने जीवन में स्थिरता और संसाधनों का सही उपयोग करना आना चाहिए।”

“आपको यह कहानी कैसी लगी? हमें जरूर बताएं। अगली बार फिर मिलेंगे एक और प्रेरणादायक कहानी के साथ। धन्यवाद!”

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