सचेतन 3.33 : नाद योग: तुरीय अवस्था: शुद्ध चेतना की अंतिम अवस्था

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नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारे इस खास सचेतन के विचार सत्र में। और आज हम चर्चा करेंगे एक अत्यंत गहन और आध्यात्मिक विषय पर, जिसे “तुरीय अवस्था” कहा जाता है। यह वह अवस्था है जहाँ आत्मा शुद्ध चेतना में प्रवेश करती है और परमात्मा के साथ एकत्व का अनुभव करती है। तो आइए, जानते हैं कि तुरीय अवस्था क्या है और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व है।

तुरीय अवस्था का अर्थ

“तुरीय” शब्द संस्कृत से आया है, जिसका अर्थ है “चौथा”। तुरीय अवस्था वह चौथी अवस्था है, जो जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति अवस्थाओं से परे है। यह शुद्ध चेतना की वह अवस्था है, जहाँ आत्मा अपने सभी बंधनों से मुक्त हो जाती है और परमात्मा के साथ एकत्व का अनुभव करती है। यह वह अवस्था है जहाँ व्यक्ति अद्वैत (द्वैत से परे) के अनुभव में होता है, यानी वह अपने और ब्रह्मांड के बीच किसी भी विभाजन का अनुभव नहीं करता।

चार अवस्थाएँ

आत्मा के अनुभव को चार प्रमुख अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है:

  1. जाग्रत अवस्था (वैश्वानर):
    • यह वह अवस्था है जिसमें हम जागते हैं और भौतिक संसार के अनुभवों को प्राप्त करते हैं। यह अवस्था हमारे इंद्रियों और मन के साथ जुड़ी होती है, जहाँ हम बाहरी दुनिया के साथ संलग्न रहते हैं।
  2. स्वप्न अवस्था (तैजस):
    • यह वह अवस्था है जिसमें हम स्वप्न देखते हैं। इसमें हमारी चेतना आंतरिक अनुभवों और कल्पनाओं से गुज़रती है, जो हमारे मानसिक और भावनात्मक अनुभवों का परिणाम होती है।
  3. सुषुप्ति अवस्था (प्राज्ञ):
    • यह गहरी नींद की अवस्था है, जहाँ हम शारीरिक और मानसिक स्तर पर पूरी तरह से शांति और विश्राम का अनुभव करते हैं। इसमें हमारे मन की गतिविधियाँ बंद हो जाती हैं, और हम एक प्रकार की अचेतनता का अनुभव करते हैं।
  4. तुरीय अवस्था:
    • तुरीय अवस्था इन तीनों अवस्थाओं से परे की अवस्था है। यह शुद्ध चेतना की वह स्थिति है, जहाँ आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप का बोध करती है। यहाँ न कोई स्वप्न है, न कोई विचार, और न ही कोई भौतिक अनुभव—यह केवल शुद्ध, अनंत और अद्वितीय चेतना का अनुभव है।

तुरीय अवस्था का अनुभव

तुरीय अवस्था का अनुभव योग और ध्यान के माध्यम से संभव है। जब हम ध्यान में गहराई तक जाते हैं और सभी विचारों और भावनाओं से परे होकर शुद्ध चेतना का अनुभव करते हैं, तो हम तुरीय अवस्था में प्रवेश करते हैं। यह अनुभव किसी भी प्रकार के द्वैत से परे होता है और यहाँ केवल एकत्व का अनुभव होता है। यह वह स्थिति है, जहाँ आत्मा और परमात्मा के बीच कोई भेद नहीं रहता, और व्यक्ति अपने वास्तविक अस्तित्व का बोध करता है।

  1. आत्मिक शांति:
    • तुरीय अवस्था में आत्मा को गहन शांति और संतोष का अनुभव होता है। यह शांति किसी भी बाहरी परिस्थिति पर निर्भर नहीं होती, बल्कि यह आत्मा के भीतर से उत्पन्न होती है।
  2. अनंत आनंद:
    • इस अवस्था में व्यक्ति अनंत आनंद का अनुभव करता है। यह आनंद किसी भी भौतिक सुख या दुख से परे होता है और शुद्ध आत्मिक आनंद का प्रतीक है।
  3. द्वैत से परे:
    • तुरीय अवस्था में व्यक्ति अद्वैत का अनुभव करता है, जहाँ उसे अपने और ब्रह्मांड के बीच कोई भेदभाव नहीं दिखाई देता। यह अवस्था पूर्ण एकत्व की अवस्था है।

तुरीय अवस्था का आध्यात्मिक महत्व

तुरीय अवस्था को आत्म-साक्षात्कार की अंतिम अवस्था माना जाता है। यह वह अवस्था है, जहाँ व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है और सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है। इस अवस्था में प्रवेश करना योगियों और साधकों का अंतिम लक्ष्य होता है, क्योंकि यहाँ आत्मा अपनी मूल और शुद्ध अवस्था में रहती है, जो ब्रह्मांडीय चेतना के साथ एकाकार होती है।

तुरीय अवस्था तक पहुँचने के उपाय

  1. नियमित ध्यान:
    • तुरीय अवस्था तक पहुँचने का सबसे प्रभावी तरीका नियमित ध्यान है। ध्यान के माध्यम से हम अपने मन को शांत कर सकते हैं और शुद्ध चेतना का अनुभव कर सकते हैं।
  2. प्राणायाम और श्वास नियंत्रण:
    • प्राणायाम और श्वास नियंत्रण के माध्यम से हम अपने शरीर और मन को स्थिर कर सकते हैं, जिससे तुरीय अवस्था का अनुभव करना आसान हो जाता है।
  3. आत्म-विश्लेषण और स्वाध्याय:
    • आत्म-विश्लेषण और स्वाध्याय के माध्यम से हम अपनी आत्मा के वास्तविक स्वरूप को समझ सकते हैं और तुरीय अवस्था की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

तुरीय अवस्था शुद्ध चेतना की अंतिम और उच्चतम अवस्था है, जहाँ आत्मा अपने सभी बंधनों से मुक्त हो जाती है और परमात्मा के साथ एकत्व का अनुभव करती है। यह अवस्था जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति अवस्थाओं से परे है और आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की दिशा में अंतिम कदम है। तुरीय अवस्था तक पहुँचने के लिए ध्यान, प्राणायाम, और आत्म-विश्लेषण का नियमित अभ्यास करना आवश्यक है।

आज के इस सत्र में इतना ही। हमें उम्मीद है कि आपको तुरीय अवस्था के इस गहन और आध्यात्मिक विषय के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। हम फिर मिलेंगे एक नए और रोचक विषय के साथ। तब तक के लिए, ध्यान में रहें, खुश रहें, और अपनी आत्मा की यात्रा को गहराई तक ले जाएँ।

नमस्कार!

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