पंचतंत्र की कथा-07 : दमनक और संजीवक के बीच बातचीत:
पिंगलक एक शेर था, जंगल का शक्तिशाली राजा। वहीं संजीवक एक साधारण बैल था जिसे उसके मालिक ने उसकी बीमारी और कमजोरी के कारण त्याग दिया था। संजीवक को अकेला छोड़ दिया गया और वह यमुना नदी के किनारे आकर रहने लगा। वहीं हरी घास खाकर और आराम करके वह धीरे-धीरे स्वस्थ और मजबूत हो गया।
एक दिन पिंगलक शेर, अपनी प्यास बुझाने के लिए यमुना के किनारे पहुंचा। लेकिन तभी उसे संजीवक की गहरी और गूंजती हुई हुंकार सुनाई दी। शेर को लगा कि यह कोई बड़ा और भयानक जीव है, और डर के मारे वह पास के एक पेड़ के नीचे छिप गया।
पिंगलक के दो सियार मंत्री थे—कर्कट और दमनक। कर्कट शांत स्वभाव का था और अधिक हस्तक्षेप से बचता था, जबकि दमनक बहुत चतुर और महत्वाकांक्षी था। उसने शेर को इस हालत में देखकर सोचा कि यह उसके लिए अवसर हो सकता है। दमनक ने पिंगलक के डर का फायदा उठाने की ठानी और संजीवक के पास पहुंचा।
दमनक और संजीवक के बीच बातचीत:
जब दमनक ने देखा कि शेर पिंगलक संजीवक की गर्जना से डरकर पेड़ के नीचे छिप गया है, तो उसने इस स्थिति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का निश्चय किया। दमनक महत्वाकांक्षी था और वह चाहता था कि शेर के दरबार में उसका फिर से महत्व बढ़े। इसलिए उसने संजीवक से मिलने का निर्णय लिया।
दमनक संजीवक के पास गया और उसने चतुराई से बातचीत शुरू की। उसने संजीवक को बताया कि शेर पिंगलक जंगल का राजा है और उसकी कोई बुरी मंशा नहीं है। दमनक ने कहा, “स्वामी पिंगलक तुम्हारे गर्जन से भयभीत हैं, लेकिन यह भय सिर्फ अज्ञानता का परिणाम है। अगर तुम उनसे मिलकर अपने उद्देश्यों को स्पष्ट कर दोगे तो तुम्हारी और उनकी मित्रता बन सकती है। और एक बार शेर तुम्हारा मित्र बन गया, तो तुम्हें किसी भी प्रकार के खतरे से डरने की जरूरत नहीं होगी।”
संजीवक पहले डर गया था। आखिरकार, वह जानता था कि शेर कितना भयंकर शिकारी होता है। लेकिन दमनक की चतुराई भरी बातें और उसके आश्वासन ने संजीवक का मन बदल दिया। उसने सोचा कि अगर वह शेर का मित्र बन जाएगा, तो जंगल में वह सुरक्षित रह सकेगा और बिना किसी डर के जीवन जी सकेगा। अंततः संजीवक पिंगलक से मिलने के लिए तैयार हो गया।
पिंगलक और संजीवक की मित्रता:
दमनक ने संजीवक को पिंगलक से मिलवाया और दोनों के बीच मित्रता करा दी। पिंगलक को भी संजीवक की मासूमियत और साहस से प्रभावित हुआ। धीरे-धीरे, दोनों के बीच गहरी मित्रता होने लगी। संजीवक ने पिंगलक के साथ समय बिताना शुरू किया और उसकी कंपनी में पिंगलक अपनी जिम्मेदारियों को भूलने लगा। वह शिकार करने या जंगल के कानून बनाए रखने के बजाय संजीवक के साथ चर्चा करने और समय बिताने में लगा रहा।
संजीवक पिंगलक को खेती, घास और पशुओं के जीवन के बारे में बातें बताता था, जबकि पिंगलक उसे जंगल के शासकों की कहानियाँ सुनाता था। दोनों का यह संग साथ इतना गहरा हो गया कि शेर अपनी राजसी जिम्मेदारियों को भी संजीवक के साथ बैठकर बातें करने के लिए छोड़ने लगा। यह स्थिति जंगल के अन्य जानवरों के लिए बहुत ही चिंताजनक हो गई थी।
जंगल में असुरक्षा की भावना:
शेर की यह उदासीनता जंगल के अन्य जानवरों के लिए खतरे का कारण बन गई। पिंगलक, जो जंगल का राजा था, अब अपनी शक्ति और जिम्मेदारियों का सही से पालन नहीं कर रहा था। इससे जंगल में अराजकता फैलने लगी। छोटे जानवर और अन्य जीव जो शेर के संरक्षण में रहते थे, अब असुरक्षित महसूस करने लगे थे। वे सोचने लगे थे कि अगर शेर ही अपनी जिम्मेदारियों को छोड़ देगा तो उन्हें कौन बचाएगा?
कर्कट, जो पिंगलक का दूसरा मंत्री था, इस स्थिति से खुश नहीं था। उसने दमनक से कहा कि यह स्थिति जंगल के लिए ठीक नहीं है। लेकिन दमनक ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया। दमनक के मन में पिंगलक और संजीवक की मित्रता को लेकर ईर्ष्या थी। उसे यह बात सहन नहीं हो रही थी कि एक साधारण बैल शेर के इतने करीब कैसे हो सकता है। वह चाहता था कि शेर सिर्फ उसकी सलाह माने और उसे महत्व दे।
दमनक की चालाकी और मित्रता में दरार:
दमनक ने धीरे-धीरे अपनी योजना पर काम करना शुरू किया। उसने पिंगलक और संजीवक के बीच गलतफहमियाँ पैदा करनी शुरू कर दीं। उसने पिंगलक को समझाया कि संजीवक उसकी जगह लेना चाहता है और उसके खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है। दमनक ने कहा, “स्वामी, संजीवक आपसे मित्रता सिर्फ इसलिए कर रहा है ताकि वह आपकी जगह ले सके। वह चाहता है कि जंगल के सभी जानवर उसे अपना राजा मानें। आपको उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।”
दूसरी ओर, उसने संजीवक को भी पिंगलक के इरादों के बारे में संदेह पैदा कर दिया। उसने कहा, “संजीवक, पिंगलक तुम्हें सिर्फ इस्तेमाल कर रहा है। जब उसका काम खत्म हो जाएगा, तो वह तुम्हें खत्म करने की कोशिश करेगा। उसे केवल अपनी शक्ति और राजपाट की चिंता है।”
दमनक की इन चालाकियों ने दोनों के बीच का विश्वास तोड़ दिया। पिंगलक को लगने लगा कि संजीवक उसके खिलाफ षड्यंत्र कर रहा है, जबकि संजीवक को पिंगलक की नीयत पर शक होने लगा। दोनों के बीच की मित्रता धीरे-धीरे समाप्त हो गई। अंततः, उनकी दोस्ती का अंत एक भयंकर लड़ाई में हुआ, जिसमें संजीवक की मृत्यु हो गई।
दमनक की चालाकी का परिणाम:
दमनक की चालाकी और षड्यंत्र के कारण पिंगलक और संजीवक के बीच की मित्रता समाप्त हो गई और जंगल में फिर से अराजकता फैल गई। दमनक ने अपनी चालाकी से शेर का विश्वास जीता, लेकिन उसकी यह चालाकी अंततः जंगल के जानवरों के लिए घातक सिद्ध हुई। पिंगलक ने अपनी शक्ति और राजसी कर्तव्यों को छोड़कर एक साधारण मित्रता में अपनी सारी ऊर्जा लगा दी, और जब वह मित्रता टूटी तो उसे केवल पश्चाताप और खोया हुआ समय ही मिला।
कहानी से सीख:
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें ईर्ष्या, चालाकी और झूठ से दूर रहना चाहिए। सच्ची मित्रता में विश्वास और निष्ठा का होना बहुत आवश्यक है। यदि किसी के बीच शक और षड्यंत्र आ जाएं, तो वह संबंध कभी भी लंबे समय तक टिक नहीं सकता। दमनक ने अपनी चतुराई से पिंगलक और संजीवक की मित्रता को तोड़ दिया, लेकिन अंततः इसका नुकसान सभी को हुआ—पिंगलक को, संजीवक को, और पूरे जंगल को।
इसलिए हमें सच्ची मित्रता और विश्वास को संजोकर रखना चाहिए और दूसरों के बारे में गलतफहमी फैलाने वाले लोगों से दूर रहना चाहिए। यही पंचतंत्र की इस कहानी का संदेश है।