सचेतन, पंचतंत्र की कथा-41 : लालच और अनदेखी चेतावनी
“नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका ‘सचेतन पॉडकास्ट’ के एक और रोमांचक और प्रेरणादायक एपिसोड में। आज की कहानी है ‘कौआ, कबूतर और बहेलिये की।’ यह कहानी हमें सिखाएगी कि लालच और अज्ञान से बचकर कैसे समझदारी और धैर्य से जीवन में संकटों को टाला जा सकता है। तो चलिए, शुरू करते हैं।”
कहानी का आरंभ
दक्षिण भारत के महिलारोप्य नामक नगर के पास एक घना और विशाल बरगद का पेड़ था। इस पेड़ पर लघुपतनक नाम का एक बुद्धिमान कौआ रहता था। वह न केवल सतर्क, बल्कि पेड़ पर रहने वाले अन्य पक्षियों का सच्चा मित्र भी था।
एक दिन, कौआ चारा चुगने के लिए निकला। उसने देखा कि एक अजीबोगरीब व्यक्ति, जिसका चेहरा डरावना और कपड़े फटे हुए थे, हाथ में जाल और चावल लेकर बरगद की ओर बढ़ रहा था। कौए ने तुरंत समझ लिया कि यह व्यक्ति एक बहेलिया है।
चेतावनी का महत्व
लघुपतनक ने तेजी से उड़कर सभी पक्षियों को चेतावनी दी:
“सुनो दोस्तों! यह बहेलिया हमारे लिए खतरा है। उसके बिछाए चावल विष जैसे हैं। भूलकर भी उन्हें मत खाना।”
सभी पक्षियों ने कौए की बात मानी और छिपकर बैठ गए।
कबूतरों का आगमन
इसी दौरान, चित्रग्रीव नामक कबूतरों का राजा अपने झुंड के साथ भोजन की तलाश में आया। नीचे बिखरे चावल देखकर कबूतर लालच में पड़ गए। लघुपतनक ने उन्हें भी चेतावनी दी:
“चित्रग्रीव, यह चावल बहेलिये का जाल है। इन्हें मत खाना।”
लेकिन चित्रग्रीव और उसके साथियों ने चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया। वे सभी चावल खाने के लिए नीचे उतर गए।
जाल में फंसना
जैसे ही कबूतरों ने चावल खाना शुरू किया, वे बहेलिये के जाल में फंस गए।
लघुपतनक ने दुखी होकर कहा:
“मैंने पहले ही कहा था, लालच अनर्थ को बुलाता है।”
शिक्षा:
लालच से बचें: जीभ या किसी अन्य लालच के कारण अक्सर लोग बड़े संकट में पड़ जाते हैं।
चेतावनी को अनसुना न करें: जब कोई बुद्धिमान व्यक्ति चेतावनी दे, तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए।
समझदारी और धैर्य: विपत्ति के समय में धैर्य और समझदारी से काम लेना ही सही रास्ता है।
जाल में फंसे कबूतरों का संघर्ष
जाल में फंसे कबूतर घबरा गए। चित्रग्रीव ने उन्हें शांत करते हुए कहा:
“डरने की जरूरत नहीं। अगर हम एकजुट होकर अपने पंख फड़फड़ाएंगे, तो इस जाल को लेकर उड़ सकते हैं।”
कबूतरों ने चित्रग्रीव की बात मानी। सभी ने एक साथ जोर लगाया और जाल को लेकर उड़ गए।
बहेलिये की असफलता
जाल को उड़ते देख बहेलिया चिल्लाया:
“अरे, ये पक्षी मेरा जाल लेकर उड़ रहे हैं! जब ये आपस में लड़ेंगे, तो यह जाल नीचे गिर जाएगा।”
लेकिन कबूतरों की एकता और साहस ने बहेलिये को निराश कर दिया।
मित्र की मदद
चित्रग्रीव ने अपने साथियों से कहा:
“अब हमें इस जाल से निकलने के लिए अपने मित्र हिरण्यक (चूहे) के पास जाना होगा। वह हमें इस संकट से बचा सकता है।”
कबूतरों का झुंड हिरण्यक के किले जैसे मजबूत बिल के पास पहुँचा।
शिक्षा:
- एकता में असीम शक्ति होती है।
- विपत्ति के समय घबराने के बजाय समाधान खोजें।
- सच्चे मित्र संकट के समय ही पहचाने जाते हैं।
हिरण्यक का स्वागत
चित्रग्रीव ने हिरण्यक को आवाज दी:
“मित्र हिरण्यक! मैं संकट में हूँ। हमें तुम्हारी मदद चाहिए।”
हिरण्यक बाहर आया और जाल में फंसे चित्रग्रीव और उसके साथियों को देखकर बोला:
“मित्र, चिंता मत करो। मैं अभी इस जाल को काट देता हूँ।”
सच्चे नेतृत्व का उदाहरण
हिरण्यक ने पहले चित्रग्रीव के बंधन को काटने की कोशिश की। लेकिन चित्रग्रीव ने रोका और कहा:
“मित्र, पहले मेरे साथियों को आजाद करो। उनके बिना मैं स्वतंत्रता का आनंद नहीं ले सकता।”
हिरण्यक ने उनकी बात मानी और पहले सभी कबूतरों को मुक्त किया। अंत में, चित्रग्रीव को भी आजाद कर दिया।
मित्रता का उत्सव
कबूतरों ने खुशी से हिरण्यक का धन्यवाद किया। चित्रग्रीव ने कहा:
“सच्चा मित्र वही है, जो विपत्ति में साथ दे। हिरण्यक, तुमने हमारी जान बचाकर मित्रता का सच्चा अर्थ समझाया।”
शिक्षा:
- सच्चे मित्र संकट में साथ देते हैं।
- अच्छा नेता अपने साथियों की भलाई पहले देखता है।
- परोपकार से संबंध मजबूत होते हैं।
“तो दोस्तों, यह थी आज की कहानी। हमें उम्मीद है कि इससे आपको प्रेरणा मिली होगी। याद रखें, जीवन में सच्चे मित्र और एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत हैं। अगले एपिसोड में फिर मिलेंगे। धन्यवाद!”