सचेतन- 07: शरीर, चक्र और पंचमहाभूत – योग की शक्ति को जानें

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सचेतन- 07: शरीर, चक्र और पंचमहाभूत – योग की शक्ति को जानें

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नमस्कार
आप सुन रहे हैं सचेतन जहाँ हम “आत्मा की आवाज़” — पर विचार रखते हैं जो आपको प्रकृति, योग और आत्म-ज्ञान, आत्म-उन्नयन से जोड़ता है।
आज का विषय है — पंचमहाभूत और उनके संबंधित चक्र और मुद्रा।
क्या आप जानते हैं कि हमारा शरीर पाँच मूलभूत तत्वों से बना है?
और हर तत्व हमारे शरीर के एक खास ऊर्जा चक्र से जुड़ा हुआ है।

आईए, एक-एक करके इन रहस्यमयी तत्वों को समझते हैं।

🔢 1. पृथ्वी तत्व – मूलाधार चक्र
🌿 “Earth Element – Root Chakra”

हमारी यात्रा शुरू होती है पृथ्वी से।
यह हमें स्थिरता देता है, जड़ से जोड़े रखता है।

चक्र: मूलाधार चक्र, रीढ़ की हड्डी के आधार पर स्थित
विशेषता: सुरक्षा, स्थिरता, अस्तित्व की भावना
मुद्रा: पृथ्वी मुद्रा – अनामिका और अंगूठे को मिलाकर

इस मुद्रा को करते हुए गहराई से सांस लें, और जीवन की जड़ों से जुड़ने की अनुभूति करें।

🔢 2. जल तत्व – स्वाधिष्ठान चक्र
💧 “Water Element – Sacral Chakra”

जल बहता है – भावनाओं की तरह।
यह रचनात्मकता और संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है।

चक्र: स्वाधिष्ठान चक्र, नाभि के नीचे
विशेषता: भावनाएँ, प्रजनन, रचनात्मकता
मुद्रा: वरुण मुद्रा – छोटी उंगली और अंगूठे को मिलाएं

यह मुद्रा भावनात्मक संतुलन और प्रवाह लाती है।

🔢 3. अग्नि तत्व – मणिपुर चक्र
🔥 “Fire Element – Solar Plexus Chakra”

अग्नि हमें ऊर्जा, आत्मबल और निर्णय की शक्ति देती है।

चक्र: मणिपुर चक्र, नाभि क्षेत्र में
विशेषता: आत्मबल, इच्छा शक्ति, पाचन
मुद्रा: सूर्य/अग्नि मुद्रा – अनामिका को अंगूठे से दबाएं

इस मुद्रा के साथ, अपने भीतर की ज्वाला को अनुभव करें।

🔢 4. वायु तत्व – अनाहत चक्र
💨 “Air Element – Heart Chakra”

वायु है स्वतंत्र – यह प्रेम और करुणा का वाहक है।

चक्र: अनाहत चक्र, ह्रदय क्षेत्र
विशेषता: प्रेम, संतुलन, संबंध
मुद्रा: वायु मुद्रा – तर्जनी को अंगूठे से दबाएं

अपने हृदय को खोलें, और अपने भीतर करुणा को प्रवाहित करें।

🔢 5. आकाश तत्व – विशुद्धि चक्र
🌌 “Space Element – Throat Chakra”

आकाश या ‘ईथर’ है सबसे सूक्ष्म – यह संचार और सत्य से जुड़ा है।

चक्र: विशुद्धि चक्र, गले में स्थित
विशेषता: अभिव्यक्ति, ध्वनि, सत्य
मुद्रा: आकाश मुद्रा – मध्यमा और अंगूठे को मिलाएं

यह मुद्रा हमें सच्चाई के साथ बोलने और सुनने की शक्ति देती है।

इन पाँच तत्वों और उनके चक्रों को समझकर हम अपने शरीर, मन और आत्मा को संतुलित कर सकते हैं।
हर मुद्रा एक साधन है – स्वयं को जानने का, ऊर्जाओं को संतुलित करने का।
आप रोज़ 5 से 10 मिनट इन मुद्राओं के अभ्यास से अद्भुत परिवर्तन महसूस कर सकते हैं।

🧘 आइए, आज से ही अपने भीतर के इन पंचतत्वों से जुड़ें और जागरूक जीवन की ओर पहला कदम बढ़ाएं।

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