सचेतन :62 श्री शिव पुराण- रूद्र संहिता: शिव जी क्रोधित होकर ब्रह्मा जी क…

सचेतन :62 श्री शिव पुराण- रूद्र संहिता: शिव जी क्रोधित होकर ब्रह्मा जी को शाप दे दिया 

#RudraSamhita

भगवान् विष्णुकी नाभिसे कमलका प्रादुर्भाव, शिवेच्छावश ब्रह्माजीका उससे प्रकट हुए, कमलनालके उद्गमका पता लगानेमें असमर्थ ब्रह्मा जी को भगवान् शिवकी इच्छासे परम मंगलमयी उत्तम आकाशवाणी सुनाई दिया की ‘तप’ (तपस्या करो)।

श्रीहरिका उन्हें दर्शन देना, विवादग्रस्त ब्रह्मा- विष्णुके बीचमें अग्नि-स्तम्भका प्रकट होना तथा उसके ओर- छोरका पता न पाकर उन दोनोंका उसे प्रणाम करना।

सभी देवताओं की बात मानकर शिव जी एक अग्नि स्तंभ के रूप में ब्रह्मा और विष्णु के बीच प्रकट हुए।

अग्नि स्तंभ को देखकर ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने तय किया कि जो भी इस स्तंभ का अंतिम छोर खोज लेगा, वही श्रेष्ठ होगा। ब्रह्मा जी स्तंभ के ऊपरी भाग में गए और विष्णु जी नीचे वाले हिस्से में गए।

जब विष्णु जी को स्तंभ का अंतिम छोर नहीं मिला तो वे लौट आए, लेकिन दूसरी तरफ ब्रह्मा जी ने खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए एक योजना बनाई।

ब्रह्मा जी ने स्तंभ में केतकी का एक फूल देखा। केतकी के फूल से ब्रह्मा जी ने कहा तू मेरे साथ बाहर चल और बाहर निकलकर बोल देना कि मैंने इस स्तंभ का अंतिम छोर खोज लिया है।

केतकी के फूल ने ब्रह्मा जी की बात मान ली। स्तंभ से बाहर निकलकर केतकी के फूल ने झूठ बोल दिया कि ब्रह्मा जी ने इस स्तंभ का अंतिम छोर ढूंढ लिया है।

जैसे ही केतकी के फूल ने ये झूठ बोला, वहां शिव जी प्रकट हो गए। शिव जी ने ब्रह्मा जी के झूठ को पकड़ लिया था। शिव जी क्रोधित हुए और उन्होंने ब्रह्मा जी को शाप दे दिया कि आपने झूठ बोला है, इसलिए अब से आपकी पूजा नहीं होगी।

विष्णु जी ने शिव जी शाप वापस लेने का निवेदन किया तो शिव जी ने उनकी बात मानते हुए कहा कि अब से यज्ञ में ब्रह्मा जी को गुरु के रूप में स्थापित किया जा सकेगा।

ब्रह्मा जी के बाद शिव जी ने केतकी के फूल से कहा कि तूने झूठ में साथ दिया और झूठ बोला है, इसलिए अब से तू मेरी पूजा में वर्जित रहेगा।

इस किस्से की सीख यह है कि हमें किसी भी स्थिति में झूठ नहीं बोलना चाहिए। झूठ शुरुआत में भले ही अच्छा लगता है, लेकिन जब झूठ पकड़ा जाता है तो हमारे लिए संकट बढ़ जाता है। सच शुरुआत में भले ही मुश्किल लगता है, लेकिन बाद के लिए जीवन सुखी हो जाता है।

ब्रह्मा और विष्णु को अपनी भूल का एहसास हुआ। भगवान शिव साकार रूप में प्रकट हुए और कहा कि आप दोनों ही बराबर हैं। इसके बाद शिव ने कहा कि पृथ्वी पर अपने ब्रह्म रूप का बोध कराने के लिए मैं लिंग रूप में प्रकट हुआ इसलिए अब पृथ्वी पर इसी रूप में मेरे परम ब्रह्म रूप की पूजा होगी। इसकी पूजा से मनुष्य को भोग और मोक्ष की प्राप्ति हो सकेगी।


Manovikas Charitable Society 2022

Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *