सचेतन :70 श्री शिव पुराण- ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के आयुर्बल
सचेतन :70 श्री शिव पुराण- ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के आयुर्बल
#RudraSamhita
परमेश्वर शिव जी भगवान विष्णु जी से बोले, हे उत्तम व्रत का पालन करने वाले विष्णु! तुम सर्वदा सब लोकों में पूजनीय और मान्य होंगे। भगवान विष्णु जी को ब्रह्माजी के द्वारा रचे लोक में कोई दुख या संकट होने पर दुखों और संकटों का नाश करने के लिए तुम सदा तत्पर रहने का वर दिया और उनको अनेकों अवतार ग्रहण कर जीवों का कल्याण कर अपनी कीर्ति का विस्तार करने की शक्ति मिला।परमेश्वर शिव जी ने कहा की मैं भगवान विष्णु जी के कार्यों में सहायता करूंगा और शत्रुओं का नाश करूंगा।
मनुष्य को रुद्र का भक्त होकर भगवान विष्णु जी की निंदा नहीं करने का अनुरोध किया।
ब्रह्माजी ने महर्षि नारद जी से कहा की ऐसा कहकर भगवान शिव ने मेरा हाथ विष्णुजी के हाथ में देकर कहा- तुम संकट के समय सदा इनकी सहायता करना तथा सभी को भोग और मोक्ष प्रदान करना तथा सभी मनुष्यों की कामनाओं को पूरा करना। तुम्हारी शरण में आने वाले मनुष्य को मेरा आश्रय भी मिलेगा तथा हममें भेद करने वाला मनुष्य नरक में जाएगा।
ब्रह्माजी कहते हैं ;- देवर्षि नारद! भगवान शिव का यह वचन सुनकर मैंने और भगवान विष्णु ने महादेव जी को प्रणाम कर धीरे से कहा- हे करुणानिधि भगवान शंकर! मैं आपकी आज्ञा मानकर सब कार्य करूंगा। मेरा जो भक्त आपकी निंदा करे, उसे आप नरक प्रदान करें। आपका भक्त मुझे अत्यंत प्रिय है।
महादेव जी बोले; अब ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के आयुर्बल को सुनो। चार हजार युग का ब्रह्मा का एक दिन होता है और चार हजार युग की एक रात होती है।
युग के बारे में कहा जाता है कि 1 युग लाखों वर्ष का होता है, जैसा कि सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है उसमें से अभी मात्र 5122 वर्ष बीत चुके हैं।
चार हजार युग का ब्रह्मा का एक दिन होता है और चार हजार युग की एक रात होती है। ब्रह्मा जी का तीस दिन का एक महीना और बारह महीनों का एक वर्ष होता है ! इस प्रकार के वर्ष-प्रमाण से ब्रह्मा की सौ वर्ष की आयु होती है और ब्रह्मा का एक वर्ष विष्णु का एक दिन होता है। वह भी इसी प्रकार से सौ वर्ष जिएंगे तथा विष्णु का एक वर्ष रुद्र के एक दिन के बराबर होता है और वह भी इसी क्रम से सौ वर्ष तक स्थित रहेंगे।
पूरे ब्रह्मांड की उच्चतम गणना का उल्लेख को समझना चाहिए
ब्रह्मा की आयु: 53 लाख 10 हज़ार गुना 4000 गुना 2 गुना 100 मानव वर्ष
विष्णु की आयु: 53 लाख 10 हज़ार गुना 4000 गुना 2 गुना 100 x 30 X 12 X 2 100 मानव वर्ष
रुद्र की आयु: 53 लाख 10 हज़ार गुना 4000 गुना 2 गुना 100 x 30 X 12 X 2 100 x 100 मानव वर्ष
तब शिव के मुख से एक ऐसा श्वास प्रकट होता है, जिसमें उनके इक्कीस हजार छ: सौ दिन और रात होते हैं। उनके छः बार सांस अंदर लेने और छोड़ने का एक पल और आठ घड़ी और साठ घड़ी का एक दिन होता है। उनके सांसों की कोई संख्या नहीं है इसलिए वे अक्षय हैं। अतः तुम मेरी आज्ञा से सृष्टि का निर्माण करो । उनके वचनों को सुनकर विष्णुजी ने उन्हें प्रणाम करते हुए कहा कि आपकी आज्ञा मेरे लिए शिरोधार्य है। यह सुनकर भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और अंतर्धान हो गए। उसी समय से लिंग पूजा आरंभ हो गई।