सचेतन 3.07 : नाद योग: नाद योग में ॐ की बारह कलाएँ

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सचेतन 3.07 : नाद योग: नाद योग में ॐ की बारह कलाएँ

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सचेतन 3.07 : नाद योग: नाद योग में ॐ की बारह कलाएँ 

परिचय

स्वागत है दोस्तों, हमारे इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र  में जिसका शीर्षक है “नाद योग में ॐ की बारह कलाएँ”। आज हम बात करेंगे नाद योग के एक महत्वपूर्ण पहलू ॐ की बारह कलाओं के बारे में। इस यात्रा में हम जानेंगे कि नाद योग क्या है, ॐ का महत्व क्या है, और ॐ की बारह कलाओं का हमारी जीवन में क्या योगदान है।

नाद योग का परिचय

तो चलिए, सबसे पहले जानते हैं कि नाद योग क्या है। नाद योग एक प्राचीन योग प्रणाली है जिसमें ध्वनि और संगीत के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार और ध्यान की अवस्था प्राप्त की जाती है। यह मान्यता है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक ध्वनि से हुई थी, जिसे ॐ कहा जाता है। नाद योग इसी ध्वनि को ध्यान के केंद्र में रखता है और इसके माध्यम से मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करने का कार्य करता है।

नाद योग, जिसे ध्वनि योग भी कहा जाता है, योग का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण अंग है। नाद का मतलब होता है ध्वनि या कंपन, और योग का मतलब होता है जुड़ना। इस प्रकार, नाद योग का अर्थ है ध्वनि या संगीत के माध्यम से आत्मा और परमात्मा के साथ जुड़ना। यह योग की एक ऐसी पद्धति है जिसमें ध्वनि के माध्यम से ध्यान और आत्मसाक्षात्कार की प्रक्रिया होती है।

ॐ का महत्व

अब बात करते हैं ॐ की। ॐ को सबसे पवित्र ध्वनि माना जाता है, जो तीन अक्षरों से मिलकर बना है – अ, उ, और म। यह ध्वनि ब्रह्मांड की तीन अवस्थाओं को दर्शाती है – सृष्टि, स्थिति और लय। अद्वैत वेदांत के अनुसार, सृजन, पालन और विघटन या समाधान का एक आरंभहीन और अंतहीन चक्र है, जिसे ‘सृष्टि’, ‘स्थिति’ और ‘लय’ कहा जाता है। यह वास्तव में आकर्षक है क्योंकि यह पदार्थ की अवधारणा से दृढ़ता से मेल खाता है ऊर्जा में परिवर्तित करना और वापस लाना।ॐ के उच्चारण से हमारे शरीर और मन में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो हमें शांति और संतुलन प्रदान करती है।

ॐ की बारह कलाएँ

अब हम पहुँचते हैं आज के मुख्य विषय पर, जो है ॐ की बारह कलाएँ। इन कलाओं के माध्यम से हम ॐ की ध्वनि को और भी गहराई से समझ सकते हैं और अपने ध्यान में इनका उपयोग कर सकते हैं।

  1. अणिमा – यह कला हमें सूक्ष्मता का अनुभव कराती है।
  2. लघिमा – यह कला हमें हल्कापन और ऊर्जा का अनुभव कराती है।
  3. गरिमा – यह कला हमें स्थिरता और गंभीरता का अनुभव कराती है।
  4. महिमा – यह कला हमें विस्तार और व्यापकता का अनुभव कराती है।
  5. प्राप्ति – यह कला हमें इच्छाओं की प्राप्ति की शक्ति प्रदान करती है।
  6. प्राकाम्य – यह कला हमें सभी इच्छाओं की पूर्ति की शक्ति प्रदान करती है।
  7. ईशित्व – यह कला हमें सृष्टि पर नियंत्रण की शक्ति प्रदान करती है।
  8. वशित्व – यह कला हमें सभी वस्तुओं और प्राणियों पर वश में करने की शक्ति देती है।
  9. सर्वकामदुगता – यह कला हमें सभी इच्छाओं को पूर्ण करने की शक्ति देती है।
  10. ब्राह्मण – यह कला हमें ब्रह्मांडीय चेतना से जोड़ती है।
  11. अक्षय – यह कला हमें अजर-अमर होने का अनुभव कराती है।
  12. बोधिनी – यह कला हमें ज्ञान और बोध की उच्च अवस्था में पहुँचाती है।

तो दोस्तों, आज हमने जाना नाद योग में ॐ की बारह कलाओं के बारे में। यह कलाएँ हमें शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्तर पर उन्नति की दिशा में ले जाती हैं। अगर आप भी इन कलाओं का अभ्यास नियमित रूप से करेंगे, तो आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस करेंगे।

आपके सवालों और सुझावों का हमेशा स्वागत है। आप हमें manovikas@manovikas.family के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं। अगले सत्र में फिर मिलेंगे एक और रोचक विषय के साथ।

तब तक के लिए, ध्यान और शांति के इस मार्ग पर आगे बढ़ते रहें। नमस्कार!

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