सचेतन 3.04 : नाद योग: ॐ को हंस के रूप में दर्शाना

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प्रस्तावना और परिचय:

ॐ नमः शिवाय! आप सभी का स्वागत है हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र  में। आज हम नाद बिंदु उपनिषद के गहन और पवित्र ज्ञान ॐ को हंस के रूप में दर्शाना के बारे में चर्चा करेंगे। हमारी यात्रा की शुरुआत प्रार्थना ॐ से करते हैं। आइए, सब मिलकर प्रार्थना करें:

ॐ! हे परमपिता परमात्मा! मेरी वाणी और मेरे मन में अच्छी तरह से स्थिर हों, मेरी मन मेरी वाणी में अच्छी तरह से स्थित हों। हे अव्यक्त प्रकाश रूप परमेश्वर, हमारे लिए आप प्रकट हों। हे प्रभु, वेद शास्त्रों में जो सत्य बताये गए हैं उन सबको मैं अपने मन और वाणी द्वारा सीखूँ। अपना सीखा हुआ ज्ञान कभी नहीं भूलूँ। मैं पढ़ने-लिखने में दिन-रात एक कर दूँ। मैं हमेशा सत्य ही सोचूँ, मन हमेशा सत्य ही बोलूँ। सत्य हमेशा मेरी रक्षा करे, मेरे आचार्य और मेरे गुरु की सदा रक्षा करें। रक्षा करे मेरी और रक्षा करे मेरे गुरु की। ॐ शान्ति, शान्ति, शान्ति ॐ।

ॐ को हंस के रूप में दर्शाना: गहनता और महत्व

ॐ को हंस के रूप में दर्शाना और इसका महत्व बहुत ही विषय गहन और पवित्र है, और आज हम इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

ॐ का हंस के रूप में प्रतीकात्मकता:

ॐ को हंस के रूप में दर्शाना भारतीय आध्यात्मिकता और दर्शन में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। हंस को ज्ञान, पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। आइए, इस प्रतीकात्मकता के विभिन्न पहलुओं को समझें:

  1. ज्ञान का प्रतीक:
    • हंस को संस्कृत में ‘परम हंस’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है सर्वोच्च आत्मा।
    • हंस को ज्ञान और विवेक का प्रतीक माना जाता है।
    • जैसे हंस दूध और पानी को अलग कर सकता है, वैसे ही ज्ञान और विवेक से हम सत्य और असत्य को अलग कर सकते हैं।
  2. पवित्रता और दिव्यता:
    • हंस को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। वह जल में रहता है, लेकिन उसके पंख कभी भी गीले नहीं होते।
    • यह हमें सिखाता है कि हमें संसार में रहते हुए भी संसार के मोह-माया से अछूते रहना चाहिए।
    • हंस को श्वेत वर्ण का माना जाता है, जो पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है।
  3. आध्यात्मिकता और मोक्ष:
    • हंस को आत्मा का प्रतीक माना जाता है, जो जीवन और मृत्यु के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की दिशा में अग्रसर होता है।
    • ॐ की ध्वनि और हंस का स्वरूप हमें आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की दिशा में प्रेरित करते हैं।
  4. प्राचीन ग्रंथों में हंस:
    • प्राचीन वेदों और उपनिषदों में हंस का वर्णन व्यापक रूप से मिलता है।
    • हंस को ब्रह्मा का वाहन माना जाता है, जो सृजन का प्रतीक है।
    • यह हमें सृजन की शक्ति और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में प्रेरित करता है।
  5. योग और ध्यान में हंस:
    • योग और ध्यान में हंस का प्रतीक महत्वपूर्ण है।
    • हंस मंत्र का उपयोग ध्यान और प्राणायाम में किया जाता है।
    • यह मंत्र हमारे मन और आत्मा को शुद्ध करता है और ध्यान की गहराईयों में प्रवेश कराता है।

हंस और प्राणायाम:

प्राणायाम के विभिन्न चरणों में हंस का प्रतीक महत्वपूर्ण होता है। पूरक, कुम्भक और रेचक के माध्यम से हम अपने प्राण (श्वास) को नियंत्रित कर सकते हैं और आत्मा की गहराईयों में प्रवेश कर सकते हैं। हंस मंत्र का उपयोग प्राणायाम में शांति और स्थिरता लाता है।

हंस और ध्यान:

ध्यान की विधि में हंस मंत्र का उपयोग महत्वपूर्ण है। शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर, सिद्धासन या किसी आरामदायक मुद्रा में बैठें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और आँखें बंद कर लें। धीरे-धीरे हंस मंत्र को मन में गूंजने दें। यह मंत्र हमारे मन और आत्मा को शुद्ध करता है और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में अग्रसर करता है।

निष्कर्ष:

ॐ को हंस के रूप में दर्शाना नाद योग का एक महत्वपूर्ण और गहन पहलू है। यह प्रतीक हमें ज्ञान, पवित्रता, दिव्यता और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में प्रेरित करता है। हंस मंत्र के माध्यम से हम अपने जीवन को शुद्ध और पवित्र बना सकते हैं।

आज के लिए बस में इतना ही। हमें आशा है कि आपको ॐ को हंस के रूप में दर्शाने के इस गहन विषय के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। हम फिर मिलेंगे एक नए विषय के साथ। तब तक के लिए, ध्यान में रहें, खुश रहें और नाद की ध्वनियों से अपने जीवन को मधुर बनाएं।

नमस्कार!

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