सचेतन, पंचतंत्र की कथा-59 : जीवन में संकट के समय में उचित निर्णय लें

SACHETAN  > Panchtantr >  सचेतन, पंचतंत्र की कथा-59 : जीवन में संकट के समय में उचित निर्णय लें

सचेतन, पंचतंत्र की कथा-59 : जीवन में संकट के समय में उचित निर्णय लें

| | 0 Comments

नमस्कार, दोस्तों! आप सभी का स्वागत है हमारे “सचेतन के इस विचार के सत्र में। आज हम बात करेंगे एक ऐसी कहानी की, जो हमें सिखाती है कि कैसे बुरे समय में तेजी से कदम उठाना चाहिए। तो, बिना किसी देरी के, चलिए शुरू करते हैं।

इस कहानी के माध्यम से, मंथरक यह भी समझाता है कि कैसे साहस और समझदारी से हर संकट का सामना किया जा सकता है। जैसे गेंद गिरकर भी उछलकर ऊपर जाती है, वैसे ही बुद्धिमान व्यक्ति भी मुश्किलों के बाद ऊंचाई पर पहुंचता है। लेकिन मूर्ख मिट्टी के गोले की तरह बस गिर जाता है और वहीं रह जाता है।

और तभी वहाँ एक कौआ आया और मंथरक की इन बातों को सुनकर कहा, “तुम्हें मंथरक की यह बातें याद रखनी चाहिए। वास्तव में यह सच है कि – जो लोग हमेशा मीठी-मीठी बातें करते हैं वे तो आम होते हैं, परंतु वो लोग जो कठिनाई में भी सही और लाभकारी बातें करते हैं, वे सच्चे मित्र होते हैं। ऐसे लोग दुर्लभ हैं।”

यह सभी बातचीत कर ही रहे थे कि तभी एक डरा हुआ हिरण नामक चित्रांग उसी तालाब पर पहुंच गया, जहां ये सब थे। तालाब के किनारे पर थे लघुपतनक, हिरण्यक और मंथरक। चित्रांग के तालाब में प्रवेश करते ही, लघुपतनक तुरंत पेड़ पर चढ़ गया, हिरण्यक झाड़ियों में छिप गया और मंथरक पानी में डुबकी लगा ली। सभी ने अपने-अपने तरीके से सुरक्षा की खोज की।

कहते हैं जब एक शिकारी से डरा हुआ चित्रांग मृग एक सरोवर पर आया, तो वहां मंथरक नामक कछुआ जो एक बुद्धिमान प्राणी है उससे उसकी मुलाकात हुई। मंथरक ने मृग को देखा और समझ गया कि वह किसी बड़ी मुश्किल में है। यह कहानी और इसका उद्धरण जीवन में संकट के समय में उचित निर्णय लेने और साहसिक कदम उठाने की महत्वपूर्ण सीख देते हैं। चित्रांग मृग की स्थिति उन चुनौतियों का प्रतीक है जो अचानक से हमारे जीवन में आ सकती हैं, और मंथरक की सलाह उस तरह की प्रतिक्रिया को दर्शाती है जो इन स्थितियों में अपेक्षित होती है।

मंथरक ने मृग से कहा, “बुरे समय में तेजी से कदम बढ़ाना चाहिए।” यह सलाह सिर्फ मृग के लिए ही नहीं थी, बल्कि हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण सीख है। जब जीवन में धमकियाँ या समस्याएं हमें घेर लें, तो निष्क्रिय रहकर स्थिति को और बिगड़ने देने की बजाय, हमें सक्रिय रूप से और तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए। यह विचार न केवल प्राकृतिक इंस्टिंक्ट पर बल देता है बल्कि यह भी सिखाता है कि कैसे साहस और समझदारी से किसी भी संकट का सामना किया जा सकता है।

लघुपतनक ने मंथरक से पेड़ की डाल से नीचे देखते हुए पुकारा, “बाहर आ जाओ मित्र, यह मृग तो प्यास से व्याकुल होकर तालाब में घुस गया है, यह आवाज उसी की है।” मंथरक ने स्थिति को समझते हुए उत्तर दिया, “यह मृग नहीं, प्यासा नहीं है बल्कि शिकारी से डरा हुआ है। देखो तो सही, उसके पीछे कोई शिकारी तो नहीं आ रहा है।”

मंथरक ने आगे कहा, “जब कोई व्यक्ति भयभीत होता है तो वह बार-बार गहरी सांस लेता है और चारों दिशाओं में देखता है, उसे कहीं चैन नहीं मिलता।” यह वाक्य मंथरक के द्वारा व्यक्त किया गया ज्ञान बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिसे समझना और अनुभव करना हम सभी के लिए उपयोगी हो सकता है। यहाँ मंथरक यह बता रहे हैं कि जब कोई व्यक्ति या प्राणी भयभीत होता है, तो उसकी प्राकृतिक प्रवृत्ति अपने आसपास के परिवेश को बार-बार निरीक्षण करने की होती है। यह उनकी स्थिति को और भी अधिक तनावपूर्ण बना देता है क्योंकि वे शांति नहीं पा सकते हैं।

इस प्रकार का व्यवहार न केवल जंगली प्राणियों में देखा जा सकता है, बल्कि मनुष्यों में भी जब वे किसी प्रकार की चिंता या डर का सामना कर रहे होते हैं। यह भयभीत व्यवहार हमें बताता है कि तनाव और चिंता हमारी क्षमताओं को किस प्रकार से प्रभावित कर सकती हैं, और यह भी कि इस स्थिति से उबरने के लिए हमें कैसे सावधानीपूर्वक और चतुराई से कार्य करना चाहिए।

यह जानकारी हमें यह सिखाती है कि संकट की स्थिति में शांत और संयमित रहना कितना महत्वपूर्ण है। शांति से काम लेने पर हम अधिक सटीक निर्णय ले सकते हैं और अपने आसपास के परिस्थितियों का बेहतर मूल्यांकन कर सकते हैं।

यह कहानी जिसमें चतुराई, मित्रता, और जीवन के महत्वपूर्ण सबक छुपे हैं। चलिए, इस कहानी को गहराई से समझते हैं। जैसा कि हमारी कहानी शुरू होती है, एक डरा हुआ चित्रांग हिरण तालाब पर पहुंचता है, जहां पहले से ही कुछ जानकार और बुद्धिमान प्राणी मौजूद थे। चित्रांग का डर इतना व्याप्त था कि वह शिकारी के तीरों से बचकर वहां तक आया था।

जब चित्रांग ने मदद की गुहार लगाई, मंथरक कछुवा ने उसे सलाह दी कि वह गहरे जंगल में जाकर छिप जाए। लेकिन जैसे ही लघुपतनक कौवा ने खबर दी कि शिकारी तो मांस के लोथड़े लेकर घर की ओर चले गए हैं, एक नई उम्मीद की किरण जागी।

“तू विश्वास के साथ जंगल से बाहर आ।” इस प्रकार, ये चार मित्र तालाब के किनारे पेड़ के नीचे बैठे और आपस में बातचीत करते हुए समय बिताने लगे।

इस बीच, उनकी बातचीत से ज्ञान की कुछ बातें निकलकर आईं, जैसे कि, “जिनके शरीर पर सुभाषितों के रसास्वादन से रोमांच का चोला चढ़ जाता है, ऐसे बुद्धिमान बिना स्त्री-संग के भी सुखी होते हैं।” और “जो सुभाषित रूपी वन का स्वयं संग्रह नहीं करता, उसे बातचीत रूपी यज्ञ में किसे दक्षिणा देनी चाहिए?”

इन दो उद्धरणों में गहरी आध्यात्मिक और दार्शनिक सोच निहित है, जो ज्ञान और विचार-विमर्श के महत्व को दर्शाती है।

पहला उद्धरण, “जिनके शरीर पर सुभाषितों के रसास्वादन से रोमांच का चोला चढ़ जाता है, ऐसे बुद्धिमान बिना स्त्री-संग के भी सुखी होते हैं।” यह संकेत करता है कि जो लोग ज्ञान की गहराईयों में डूबे होते हैं और जिन्हें ज्ञान के सुभाषित (सुंदर और उत्तम वचन) पढ़ने और सुनने में आनंद आता है, वे अपने आप में संपूर्ण और संतुष्ट रह सकते हैं। ऐसे लोगों को बाहरी संगति की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि उन्हें ज्ञान से ही अधिकतम सुख और संतोष मिल जाता है।

दूसरा उद्धरण, “जो सुभाषित रूपी वन का स्वयं संग्रह नहीं करता, उसे बातचीत रूपी यज्ञ में किसे दक्षिणा देनी चाहिए?” यह पूछता है कि अगर कोई व्यक्ति खुद से ज्ञान नहीं अर्जित करता है तो वह सामाजिक और बौद्धिक चर्चाओं में किस प्रकार योगदान दे सकता है। यह दर्शाता है कि ज्ञान का संचय कैसे समाज में योगदान देने और विचार-विमर्श को समृद्ध बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। यह यज्ञ के प्राचीन भारतीय संदर्भ को भी छूता है, जहां दक्षिणा अर्पण एक अनिवार्य और श्रद्धा से भरा अंग है।

दोनों उद्धरण ज्ञान की शक्ति और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करते हैं, और यह भी बताते हैं कि कैसे व्यक्तिगत विकास और सामाजिक योगदान दोनों ही ज्ञान के उचित अर्जन और उपयोग से प्राप्त हो सकते हैं।

ये सभी विचार दर्शाते हैं कि ज्ञान का संचय कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करता है और हमारी बातचीत में गहराई लाता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि कैसे ज्ञानी लोग अपने अनुभवों और सीख के माध्यम से दूसरों का मार्गदर्शन कर सकते हैं।

दोस्तों, आज के इस सत्र में हमने देखा कि कैसे विपत्ति के समय में मित्रता और बुद्धिमत्ता का सही प्रयोग हमें सुरक्षित रास्ता दिखा सकता है। उम्मीद है कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी और आपने इससे कुछ महत्वपूर्ण सीखा होगा। अगले एपिसोड में फिर मिलेंगे एक नई कहानी के साथ। तब तक के लिए, खुद को सुरक्षित रखें और सकारात्मक बने रहें। नमस्कार!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *