सचेतन- 16: विवेक से निर्णय (Wise Discernment)
सचेतन- 16: विवेक से निर्णय (Wise Discernment)
विवेक का अर्थ है — सही और गलत, उचित और अनुचित, टिकाऊ और अस्थायी के बीच स्पष्ट समझ। जब कोई व्यक्ति प्रज्ञा (आत्मिक बुद्धि) के प्रकाश में निर्णय करता है, तो उसे कहते हैं विवेक से निर्णय।
🌿 विवेक से निर्णय क्या होता है?
- भावनाओं में बहकर नहीं, शांति और जागरूकता से निर्णय लेना।
- “क्या यह मेरे और दूसरों के लिए दीर्घकालिक रूप से सही है?” — ऐसा प्रश्न पूछना।
🧭 विवेकपूर्ण निर्णय का मूल आधार क्या हो?
केवल लाभ या हानि पर नहीं — निर्णय नीति (सिद्धांत) और सत्य (सचाई) पर आधारित होना चाहिए।
🌿 उदाहरण:
- अगर कोई लाभदायक कार्य किसी के साथ अन्याय कर रहा है —
विवेक कहेगा: “यह मत करो।” - अगर सच बोलना नुकसान पहुँचा सकता है, फिर भी नीति कहती है:
“सच बोलो, क्योंकि अंत में सत्य ही स्थायी है।”
“सत्यं वद, धर्मं चर” —
(तैत्तिरीय उपनिषद)
सत्य बोलो, धर्म के अनुसार चलो।
नीति और सत्य — यही मनुष्य को महान बनाते हैं।
सारांश:
लाभ–हानि क्षणिक है, लेकिन नीति और सत्य चिरस्थायी हैं।
जब निर्णय विवेक, नीति और सत्य से लिए जाते हैं, तब जीवन में स्थायी शांति और संतुलन आता है।
विवेक से निर्णय कैसे लें?
- रुको और सोचो – तुरंत प्रतिक्रिया न दो।
- साक्षी बनो – भावना से हटकर स्थिति को देखो।
- प्रश्न पूछो –
▪ क्या यह निर्णय मेरे मूल्यों के अनुसार है?
▪ क्या इससे किसी को अनावश्यक कष्ट तो नहीं होगा? - लंबे समय की सोच रखो – तात्कालिक सुख या क्रोध में नहीं, दूरदृष्टि में निर्णय करो।
- अंतरात्मा की सुनो – जब मन शांत हो, भीतर की आवाज़ निर्णय का मार्ग दिखाती है।
✨ उदाहरण:
एक मित्र ने गलती की।
• क्रोध कहता है – संबंध तोड़ दो।
• अहंकार कहता है – उसे सबक सिखाओ।
• विवेक कहता है – पहले बात करो, समझो, फिर निर्णय लो।