सचेतन- बुद्धचरितम् 24- 21 सर्ग बुद्ध और उनका धर्म-प्रसार भगवान बुद्ध, जिन्हें हम तथागत भी कहते हैं, जब स्वर्ग में अपनी माता और वहाँ के देवताओं को धर्म की दीक्षा दे चुके, तो उन्होंने सोचा कि अब धरती पर चलकर अन्य लोगों को भी सत्य धर्म की शिक्षा दी जाए। “तथागत” शब्द पाली भाषा से […]
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सचेतन- बुद्धचरितम् 23- 19-20 सर्ग – बुद्ध का चातुर्मास तक स्वर्ग में रुकना
जब महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान और उपदेशों से कई शास्त्रज्ञों को जीत लिया, तब वे राजगृह से अपने जन्म स्थान—अपने पिता राजा शुद्धोदन के नगर कपिलवस्तु की ओर लौटे। पुत्र के आने का समाचार सुनकर राजा शुद्धोदन बहुत प्रसन्न हुए। वे नगरवासियों के साथ बुद्ध से मिलने के लिए निकल पड़े। लेकिन जब उन्होंने […]
सचेतन- बुद्धचरितम् 22- अष्टादश सर्ग- बुद्ध विहार का निर्माण
एक दिन कोशल देश के प्रसिद्ध और धर्मप्रिय राजा सुदत्त को पता चला कि भगवान बुद्ध (सुगत) अपने अनुयायियों के साथ किसी स्थान पर निवास कर रहे हैं। यह जानकर वे अत्यंत श्रद्धा और विनम्रता के साथ बुद्ध के दर्शन करने पहुँचे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने भूमि पर दण्ड की तरह गिरकर बुद्ध को प्रणाम किया। […]
सचेतन- बुद्धचरितम् 21 सत्रहवाँ सर्ग : बुद्ध के धर्म का सार
राजा विम्बसार ने महात्मा बुद्ध से निवेदन किया कि वे वेणुवन में निवास करें। बुद्ध ने राजा की प्रार्थना स्वीकार कर ली और वेणुवन में शांतचित्त होकर रहने लगे। इसी समय एक दिन एक भिक्षु जिसका नाम अश्वजित था, जो इंद्रियों को जीतने वाला और संयमी था, भिक्षा के लिए नगर गया। जब वह रास्ते […]
सचेतन- बुद्धचरितम् 20, सर्ग १६: बुद्ध की दीक्षा
महात्मा बुद्ध ने जब अपने पहले पाँच शिष्यों को दीक्षित कर धर्म में स्थापित कर दिया, तब इसके बाद एक और महत्वपूर्ण घटना घटी। एक दिन एक यश नाम का कुलीन युवक, जो अपनी स्त्रियों को गहरी नींद में सोता देख मन में गहरी वैराग्यता अनुभव कर रहा था, वह बुद्ध के पास पहुँचा। महात्मा […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-19 सर्ग 14-15: आत्मज्ञान की ओर
चतुर्दश सर्ग की यह कहानी उस समय की है जब सिद्धार्थ (अब महामुनि) ने गहन ध्यान में बैठकर मार (माया और विकारों के देवता) की विशाल सेना को धैर्य और शांति के साथ पराजित किया था। अब उनके मन में संसार की अंतिम सच्चाई को जानने की गहरी इच्छा जाग उठी। वे ध्यान की गहराइयों […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-18 मारविजय
महर्षि की मोक्ष यात्रा और कामदेव की हारएक समय की बात है, जब एक महान ऋषि, जो राजर्षियों के वंश में उत्पन्न हुए थे, मोक्ष प्राप्ति के लिए गहन तपस्या में लीन हो गए। उन्होंने संकल्पपूर्वक ध्यान में बैठने का निश्चय किया। उनके इस दृढ़ निश्चय से संपूर्ण संसार प्रसन्न हो गया, लेकिन सच्चे धर्म […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-17 आराडदर्शन
गौतम बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति की ओर यात्रा गौतम बुद्ध, जो इक्ष्वाकु वंश के तेजस्वी राजकुमार थे, सत्य की खोज में निकल पड़े थे। वे पहले अराड मुनि के आश्रम पहुँचे। मुनि ने उनका प्रेमपूर्वक स्वागत किया और उन्हें आदर से आसन दिया। उन्होंने कहा, “शास्त्र का उपदेश देने से पहले मैं आमतौर पर शिष्य […]
सचेतन: बुद्धचरितम्-16 कामविगर्हणम्
बुद्धचरित की कथा – सिद्धार्थ और बिंबिसार संवाद जब मगधराज बिंबिसार ने राजकुमार सिद्धार्थ को राज्य और समृद्धि की ओर आकर्षित करने वाली बातें कहीं, तो शांत और गंभीर मन से सिद्धार्थ ने उत्तर दिया। उन्होंने कहा – “हे राजन्! आप चन्द्रवंश में जन्मे हैं, आपके द्वारा ऐसा कहना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-15 श्रेणभिगमनम्: (राजमार्ग का अनुसरण)
यह कहानी एक ऐसे राजकुमार की है, जिसने अपनी विलासपूर्ण जीवनशैली, महल, परिवार और राज्य को छोड़कर सत्य की खोज में निकलने का निश्चय किया। राजकुमार ने मंत्री और पुरोहित को पीछे छोड़ दिया और गंगा नदी को पार करके राजगृह नामक नगरी पहुँचा। राजगृह धन-धान्य और सुंदर भवनों से सम्पन्न एक भव्य नगरी थी। […]