सचेतन: ज्ञान योग-2: अपनी असली प्रकृति को समझना

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सचेतन: ज्ञान योग-2: अपनी असली प्रकृति को समझना

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नमस्कार दोस्तों, कल हमने बात किया था की स्वामी विवेकानंद जी ने ज्ञान योग का मार्ग विस्तार से समझाया और दुनिया को यह बताया कि कैसे हर व्यक्ति अपने ज्ञान और समझ के द्वारा अपने आप को और अपने आस-पास की दुनिया को बेहतर बना सकता है और इस माध्यम से ही आत्मा की शांति और मोक्ष को संभव कर सकते हैं। यह विषय मनुष्य स्वयं के यथार्थ और प्राकृतिक स्वरूप को जानने, माया और मुक्ति, ब्रह्म और जगत, अंतर्जगत और बहिर्जगत, बहुतत्व में एकत्व, ब्रह्म दर्शन, और आत्मा का मुक्त स्वभाव समझने में मदद करता है। 

आज हम बात करेंगे कि आप अपनी असली प्रकृति को कैसे समझ सकते हैं। आइए, इसे विस्तार से जानते हैं कुछ रोचक उदाहरणों के साथ।

भावनात्मक प्रवृत्ति (Emotional Tendency): आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भावनात्मक प्रवृत्ति वह गुण है जो व्यक्ति के आंतरिक ऊर्जा के प्रवाह को दर्शाती है। यह उस तरीके को बताती है जिससे व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों में अपनी भावनाओं को प्रकट करता है और किस प्रकार वह अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को संतुलित रखता है।

अपनी भावनाओं को पहचानें: कल्पना कीजिए, जब आप अपनी पसंदीदा फिल्म देख रहे होते हैं और अचानक बिजली चली जाती है, तब आपकी प्रतिक्रिया क्या होती है? क्या आप तुरंत चिढ़ जाते हैं या शांति से दूसरा विकल्प ढूँढते हैं? यह समझना कि आप आमतौर पर किस तरह की भावनाएं महसूस करते हैं और कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, आपकी भावनात्मक प्रवृत्ति को दर्शाता है।

सामाजिक व्यवहार (Social Behavior): आध्यात्म में सामाजिक व्यवहार वह तरीका है जिससे व्यक्ति अपनी आत्मा के सार को दूसरों के साथ साझा करता है। यह उस प्रक्रिया को दर्शाता है जिसमें व्यक्ति दूसरों से जुड़ता है और किस प्रकार से वह अपनी आध्यात्मिक यात्रा में सहयोग और सामंजस्य बनाए रखता है।

आप दूसरों से कैसे मिलते-जुलते हैं?: जैसे, एक शादी के समारोह में जाना, क्या आप वहां जाकर सभी से मिलते हैं या किसी एक कोने में बैठे रहते हैं? आपका सामाजिक व्यवहार बताता है कि आप कैसे दूसरों से जुड़ते हैं।

तनाव का सामना (Coping with Stress): आध्यात्मिकता में तनाव का सामना करने का तरीका वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपनी आंतरिक शांति को बनाए रखते हुए विभिन्न चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करता है। यह उन तकनीकों को भी शामिल करता है जो व्यक्ति आध्यात्मिक संतुलन और हार्मनी को पुनः प्राप्त करने के लिए उपयोग करता है।

निर्णय लेने की शैली (Decision-Making Style): यह व्यक्ति के आंतरिक ज्ञान और अंतरात्मा की आवाज के अनुसार निर्णय लेने की प्रक्रिया है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह दर्शाता है कि कैसे व्यक्ति अपने उच्चतर स्व के मार्गदर्शन में निर्णय लेता है।

आप कैसे निर्णय लेते हैं?: उदाहरण के लिए, जब बाजार में नया मोबाइल आता है, तो क्या आप तुरंत खरीद लेते हैं या पहले उसके फीचर्स, कीमत और समीक्षाएँ देखते हैं? यह आपकी निर्णय लेने की शैली को दर्शाता है।

प्रेरणा (Motivation): आध्यात्मिकता में प्रेरणा वह शक्ति है जो व्यक्ति को उसके जीवन के उद्देश्य की ओर अग्रसर करती है। यह उस आंतरिक इच्छा या कॉलिंग को दर्शाती है जो व्यक्ति को अपने आध्यात्मिक पथ पर चलने के लिए प्रेरित करती है।

आपको क्या प्रेरित करता है?: जैसे, क्या आपको किसी की मदद करने से ज्यादा संतोष मिलता है या नई चीजें सीखने से? यह आपकी प्रेरणाओं को समझने में मदद करता है।

तनाव का सामना (Coping with Stress): आध्यात्मिकता में तनाव का सामना करने का तरीका वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपनी आंतरिक शांति को बनाए रखते हुए विभिन्न चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करता है। यह उन तकनीकों को भी शामिल करता है जो व्यक्ति आध्यात्मिक संतुलन और हार्मनी को पुनः प्राप्त करने के लिए उपयोग करता है।तनाव में आपकी प्रतिक्रिया: क्या आप जब भी किसी मुश्किल स्थिति में होते हैं तो शांत रहते हैं या परेशान हो जाते हैं? उदाहरण के तौर पर, अगर आपका काम का बोझ बढ़ जाता है, तो आप कैसे संभालते हैं?

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