सचेतन: ज्ञान योग-1
ज्ञान योग, जिस पर स्वामी विवेकानंद ने विशेष जोर दिया, ज्ञान और बुद्धि के माध्यम से आत्मिक मुक्ति या मोक्ष प्राप्त करने का एक मार्ग है। स्वामीजी के अनुसार, ज्ञान योग उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो गहराई से ज्ञान और बुद्धि की खोज में रुचि रखते हैं।
इस योग की प्रक्रिया में व्यक्ति को अपने मन की गहराइयों में उतरकर अपने अस्तित्व की सच्चाई का चिंतन करना होता है। स्वामी जी का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर उस सत्य की खोज करनी चाहिए जो ब्रह्मांड के मूल सत्य से जुड़ा हुआ है।
एक कहानी के माध्यम से इसे समझते हैं: एक युवक था जो जीवन के अर्थ को समझने के लिए विभिन्न ऋषियों और गुरुओं के पास जाता है। उसने अनेक प्रश्न पूछे और विभिन्न उत्तर प्राप्त किए, लेकिन जब वह स्वामी विवेकानंद के पास पहुंचा, तब उसे ज्ञान योग के माध्यम से समझ आया कि असली ज्ञान उसकी अपनी गहराइयों में छिपा है। स्वामीजी ने उसे सिखाया कि कैसे अपने आपको जानकर ही वह सच्चाई को पा सकता है।
इसी तरह, स्वामी विवेकानंद ने ज्ञान योग को विस्तार से समझाया और दुनिया को यह बताया कि कैसे हर व्यक्ति अपने ज्ञान और समझ के द्वारा अपने आप को और अपने आस-पास की दुनिया को बेहतर बना सकता है। उनका मानना था कि ज्ञान योग के माध्यम से ही आत्मा की शांति और मोक्ष संभव है।
ज्ञान योग के अनुसार, ज्ञानी व्यक्ति वास्तविकता को जानने और अद्वैत वेदांत के अनुरूप अपने आत्मा के वास्तविक स्वरूप को पहचानने के द्वारा मुक्ति प्राप्त करता है।
ज्ञान योग की गहराई में उतरने पर हम पाते हैं कि इसके माध्यम से ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान द्वारा ईश्वर प्राप्ति की दिशा में बढ़ता है। स्वामी विवेकानंद के अनुसार, ज्ञान योग में विविध विषयों का समावेश होता है जैसे मायावाद, मनुष्य का यथार्थ और प्राकृतिक स्वरूप, माया और मुक्ति, ब्रह्म और जगत, अंतर्जगत और बहिर्जगत, बहुतत्व में एकत्व, ब्रह्म दर्शन, और आत्मा का मुक्त स्वभाव।